आखिर क्या कहा था वाइस प्रेसिडेंट ने?
अंसारी ने कहा था- मुसलमानों की हिफाजत और पहचान के लिए सकारात्मक कदम उठाए जाएं ताकि मुस्लिम कम्युनिट सबका साथ, सबका विकास के सरकार के मूल मंत्र के साथ आगे बढ़ सके। सरकार के सामने ऐसी नीतियां बनाने की चुनौती है जिनसे मुसलमानों का सशक्तीकरण हो, फैसले लेने और संपत्ति में उनकी बराबर की भागीदारी हो। इसके लिए सिस्टम बनाया जाए। सामाजिक शांति के लिए राजनीतिक विजन जरूरी है। सेकुलर राजनीति के तहत रह रहे मुस्लिम अल्पसंख्यकों का भारत का अनुभव दूसरों के लिए मॉडल होना चाहिए क्योंकि इस देश की 14 प्रतिशत आबादी मुस्लिम है।
बीजेपी नेता ने क्या कहा?
कैलाश विजयवर्गीय ने नसीहत देने वाले अंदाज में सोशल साइट पर लिखा- उपराष्ट्रपति का पद एक संवैधानिक पद है, जिसका संबंध केवल देश से होता है किसी दल या धर्म से नहीं। अंसारी जी का यह कहना कि सरकार सबका साथ, सबका विकास के साथ मुस्लिमों का विशेष ध्यान रखे, संवैधानिक मर्यादाओं का उल्लंघन है। उपराष्ट्रपति के रूप में अंसारी जी का देश सम्मान करता है लेकिन समय-समय पर वह अपना वर्ग विशेष से संबंध होने का अहसास करा देते हैं। इस कारण लोगों की नजरों में केवल उनका ही सम्मान गिरता है।
वीएचपी ने कहा- इस्तीफा दें फिर राजनीति करें अंसारी
वीएचपी प्रवक्ता सुरेंद्र जैन ने आरोप लगाया कि उपराष्ट्रपति संवैधानिक पद पर बैठ कर राजनीति कर रहे हैं। अगर हामिद अंसारी राजनीति करना चाहते हैं तो उन्हें उपराष्ट्रपति के पद से इस्तीफा दे देना चाहिए और खुलकर राजनीति करनी चाहिए। उन्हें अपने बयान के लिए माफी मांगनी चाहिए।
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