जयपुर/उदयपुर/भीलवाड़ा। करप्शन के मामले में एसीबी ने अब तक की
सबसे बड़ी कार्रवाई करते हुए खान विभाग के चीफ सेक्रेटरी अशोक सिंघवी,
एडिशनल डायरेक्टर पंकज गहलोत व एक इंजीनियर सहित सात लोगों को गिरफ्तार
किया है। आरोपियों के घरों से सवा चार करोड़ रुपए बरामद किए हैं। इसमें 2.55
करोड़ रुपए बंद खानों को चालू कराने की एवज में घूस के रूप में दिए गए थे,
जिसे एसीबी ने सीए श्याम सुंदर और विभाग के इंजीनियर पुष्करराज आमेटा से
बरामद किया। बाकी 1.70 करोड़ रुपए अन्य आरोपियों के घरों से मिले हैं। देर
रात तक सिंघवी के घर में तलाशी जारी थी। उनके यहां से कई महत्वपूर्ण
दस्तावेज बरामद किए हैं। भास्कर के पास पुख्ता जानकारी है कि सिंघवी घूस की
आधी राशि खुद रखते थे और बाकी अन्य अफसरों में बांटते थे। सिविल लाइंस में
उनके चार बंगले होने की जानकारी सामने आई है। ये उनकी पत्नी के नाम हैं।
एसीबी के डीजी नवदीप सिंह ने अशोक सिंघवी की गिरफ्तारी की पुष्टि करते हुए बताया कि कार्रवाई जारी है। कई खुलासे और होंगे। एसीबी की नौ टीमों ने बुधवार को उदयपुर और भीलवाड़ा में कार्रवाई की। उदयपुर में खान मालिक शेरखान का सीए श्याम सुंदर व दलाल संजय सेठी 2.55 करोड़ रुपए का लेन-देन करते पकड़े गए। भीलवाड़ा में शेरखान का कर्मचारी रसीद व इंजीनियर पुष्करराज को गिरफ्तार किया गया। देर रात शेरखान को भी पकड़ लिया गया।
एसीबी के डीजी नवदीप सिंह ने अशोक सिंघवी की गिरफ्तारी की पुष्टि करते हुए बताया कि कार्रवाई जारी है। कई खुलासे और होंगे। एसीबी की नौ टीमों ने बुधवार को उदयपुर और भीलवाड़ा में कार्रवाई की। उदयपुर में खान मालिक शेरखान का सीए श्याम सुंदर व दलाल संजय सेठी 2.55 करोड़ रुपए का लेन-देन करते पकड़े गए। भीलवाड़ा में शेरखान का कर्मचारी रसीद व इंजीनियर पुष्करराज को गिरफ्तार किया गया। देर रात शेरखान को भी पकड़ लिया गया।
एक हजार कॉल ट्रेस के बाद सामने आया पूरा खेल
फोन टेपिंग में खुलासा हुआ है कि चीफ सेक्रेटरी अशोक सिंघवी के लिए
दलाल संजय सेठी पिछले 11 महीने से बड़े-बड़े खान मालिकों से उगाही कर रहा था।
जो खान मालिक पैसे नहीं देता था उसकी शिकायत अशाेक सिंघवी को कर देता था
और संबंधित जिले के खान विभाग के इंजीनियर के जरिये नोटिस दिला देता था।
इसके बाद फिर डील के लिए पहुंचता था। डील होने पर सिंघवी को सूचना देता और
नकदी उन तक पहुंचाई जाती। फोन टेपिंग में सामने आया है कि सिंघवी इसमें से
आधी राशि खुद के पास रखते थे और बाकी अपने मातहतों अफसरों व कर्मचारियों
में बंटवा दी जाती थी। एसीबी ने करीब एक हजार कॉल ट्रेस के बाद यह जानकारी
जुटाई है।
यहां से शुरू हुई कार्रवाई
एसीबी की टीम भीलवाड़ा में खान विभाग में एसएमई पी.आर. आमेटा के दफ्तर
पहुंची। यहां आमेटा काे नोटों के साथ पकड़ने के बाद उसकी निशानदेही पर ही
एक टीम उदयपुर पहुंची। जयपुर, उदयपुर और भीलवाड़ा की दस टीमों ने एक साथ
कार्रवाई को अंजाम दिया। इसके साथ ही उदयपुर में एडीएम पंकज गहलोत को
रिश्वत मामले में पकड़ा। यहीं उसके दो बिचौलियों संजय सेठी और श्याम सुंदर
के बारे में पता चला और उन्हें भी उनके घरों व अन्य स्थानों से पकड़ लिया
गया। इनके घरों पर ही नोटों से भरे बोरे मिले।
नोटों की गिनती के लिए मंगवानी पड़ी मशीनें
दोनों बिचौलियों के घर बोरियों में भरे इतने अधिक नोट थे कि एसीबी टीम को इन नोटों की गिनती के लिए मशीनें मंगवानी पड़ी। कई कर्मचारी मशीनों के जरिए नोटों को गिनने का काम कर रहे हैं। यह मामला सिर्फ ढाई करोड़ रुपए का नहीं, बल्कि ज्यादा बड़ा हो सकता है क्योंकि इनके घरों में जितने नोट मिले हैं, उनकी गिनती पूरी होने पर ही पता चलेगा कि वाकई में कितनी राशि काले धन की है।
दोनों बिचौलियों के घर बोरियों में भरे इतने अधिक नोट थे कि एसीबी टीम को इन नोटों की गिनती के लिए मशीनें मंगवानी पड़ी। कई कर्मचारी मशीनों के जरिए नोटों को गिनने का काम कर रहे हैं। यह मामला सिर्फ ढाई करोड़ रुपए का नहीं, बल्कि ज्यादा बड़ा हो सकता है क्योंकि इनके घरों में जितने नोट मिले हैं, उनकी गिनती पूरी होने पर ही पता चलेगा कि वाकई में कितनी राशि काले धन की है।
20 करोड़ लेने थे रिश्वत में
पंकज गहलोत लगातार माइन अलॉटमेंट कर रहा था। एसीबी को जानकारी मिली की
वह इसके लिए काफी रिश्वत मांग रहा है। एक कारोबारी से उसने 20 करोड़ रुपए
मांगे। बुधवार को 2.5 करोड़ रुपए पहली किश्त के रूप में दिए जाने थे। एसीबी
को इसकी जानकारी मिल गई और उसने पंकज को रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया।
बताया जाता है कि एसीबी की कई दिनों से पंकज पर नजर थी।
माइनिंग माफिया पर कार्रवाई नहीं की
माइनिंग डिपार्टमेंट अकसर माइनिंग माफिया के खिलाफ कार्रवाई करता है
लेकिन इस बार एक साल से ज्यादा वक्त बीत जाने के बावजूद गहलोत ने माफिया के
खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया। कार्रवाई की बात को वह टाल देता था। इस वजह से
उस पर शक गहरा गया। माइनिंग डिपार्टमेंट ने साल के शुरू में 4 हजार करोड़
रुपए की वसूली का टारगेट तय किया था जो बाद में 3400 करोड़ रह गया।
बड़े अफसरों पर भी शक
बताया जा रहा है कि गहलोत ने बहुत कम वक्त में कई माइन अलॉट किए थे।
माना जा रहा है कि पंकज को अपने बड़े अफसरों से भी शह मिल रही थी, क्योंकि
यह काम वह अकेले नहीं कर सकता था।
घूस लेकर ये काम करवाते थे आरोपी
खान आवंटन करते थे, नामांतरण किया जाता था, बंद खानों को चालू किया
जाता, कोर्ट केसों में कमजोर पैरवी करते थे। 2.55 करोड़ की राशि शेरखान की
बंद खानों को शुरू करने की एवज में ली जा रही थी। ये खानें सीमेंट उत्पादन
में काम आने वाले रॉ मटेरियल चाइना क्ले, रेड आकर, येलो आकर, सिलीकासैंड
आदि कीमती खनिज की हैं।
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