नई दिल्ली. वन रैंक वन पेंशन (OROP) की मांग कर रहे रिटायर्ड
फौजियों के साथ अब विदेश राज्य मंत्री रिटायर्ड जनरल वीके सिंह की बेटी
मृणालिनी सिंह भी आ गई हैं। रविवार को उन्होंने जंतर-मंतर पर पहुंच कर
आंदोलन के समर्थन में आवाज उठाते हुए मोदी सरकार से OROP की मांग की। OROP
को लेकर 12 जून से रिटायर्ड फौजी जंतर-मंतर पर विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं।
बता दें कि गाजियाबाद से बीजेपी का सांसद चुने जाने से पहले मृणालिनी के
पिता जनरल वीके सिंह आर्मी चीफ भी रह चुके हैं।
क्या कहा जनरल वीके सिंह की बेटी ने?
मृणालिनी ने कहा, ''मैं यहां एक रिटायर्ड फौजी की बेटी के रूप में आई
हूं। मेरे दादाजी, मेरे पिता और मेरा पति भी फौजी हैं। हो सकता है कि मेरा
बेटा भी एक फौजी ही बने। मुझे एक चीज पता है, मोदीजी जो कहते हैं वो करते
हैं। यह कब लागू होगा, नहीं पता लेकिन वन रैंक वन पेंशन सच्चाई जरूर बनेगी।
उम्मीद के साथ आई हूं कि हमारी सरकार जल्द ही इनकी (प्रदर्शन कर रहे
रिटायर्ड फौजियों की) आवाज सुनेगी।''
: पूर्व सैनिकों ने राहुल को मंच पर चढ़ने से रोका, लगाए वापस जाओ के नारे)
क्यों उठी वन रैंक, वन पेंशन की मांग?
- रिटायर्ड फौजी लंबे समय से वन रैंक-वन पेंशन की मांग कर रहे
हैं। वन रैंक-वन पेंशन की मांग को लेकर कई फौजियों ने अपने पदक लौटा दिए
थे।
- छठा वेतन आयोग लागू होने के बाद 1996 से पहले रिटायर हुए सैनिक की पेंशन 1996 के बाद रिटायर हुए सैनिक से 82% कम हो गई। इसी तरह 2006 से पहले रिटायर हुए मेजर की पेंशन उनके बाद रिटायर हुए अफसर से 53% कम हो गई।
- मांग उठने की दूसरी वजह यह भी है कि चूंकि फौजी अन्य सरकारी कर्मचारियों की तुलना में जल्दी रिटायर हो जाते हैं, इसलिए उनके लिए पेंशन स्कीम अलग रखी जाए।
- केंद्र के नौकरशाह औसतन 33 साल तक सेवाएं देते हैं और अपनी आखिरी तनख्वाह की 50% पेंशन पाते हैं। आर्मी में सैनिक आमतौर पर 10 से 12 साल की उम्र में रिटायर हो जाते हैं और सैलरी की 50% से कम पेंशन पाते हैं।
- छठा वेतन आयोग लागू होने के बाद 1996 से पहले रिटायर हुए सैनिक की पेंशन 1996 के बाद रिटायर हुए सैनिक से 82% कम हो गई। इसी तरह 2006 से पहले रिटायर हुए मेजर की पेंशन उनके बाद रिटायर हुए अफसर से 53% कम हो गई।
- मांग उठने की दूसरी वजह यह भी है कि चूंकि फौजी अन्य सरकारी कर्मचारियों की तुलना में जल्दी रिटायर हो जाते हैं, इसलिए उनके लिए पेंशन स्कीम अलग रखी जाए।
- केंद्र के नौकरशाह औसतन 33 साल तक सेवाएं देते हैं और अपनी आखिरी तनख्वाह की 50% पेंशन पाते हैं। आर्मी में सैनिक आमतौर पर 10 से 12 साल की उम्र में रिटायर हो जाते हैं और सैलरी की 50% से कम पेंशन पाते हैं।
क्यों हुई देरी?
सरकार इस पर विचार करती रही कि आर्मी, एयरफोर्स और नेवी के लिए यह योजना लागू करने के बाद कहीं दूसरे अर्द्धसैनिक बलों की तरफ से इस तरह की मांग न उठे। लेकिन केंद्र ने अब इस पेंशन योजना के लिए अलग प्रशासनिक और आर्थिक ढांचा तैयार कर लिया है। मार्च 2015 के पहले पूर्ण बजट में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने डिफेंस पेंशन का कुल बजट 51 हजार करोड़ रुपए से 9% बढ़ाकर 54500 करोड़ रुपए कर दिया था।
सरकार इस पर विचार करती रही कि आर्मी, एयरफोर्स और नेवी के लिए यह योजना लागू करने के बाद कहीं दूसरे अर्द्धसैनिक बलों की तरफ से इस तरह की मांग न उठे। लेकिन केंद्र ने अब इस पेंशन योजना के लिए अलग प्रशासनिक और आर्थिक ढांचा तैयार कर लिया है। मार्च 2015 के पहले पूर्ण बजट में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने डिफेंस पेंशन का कुल बजट 51 हजार करोड़ रुपए से 9% बढ़ाकर 54500 करोड़ रुपए कर दिया था।
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