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24 अगस्त 2015

देश में दो मंदिर ऐसे भी: एक में नेता-मंत्री-जज की एंट्री बैन, दूसरे में दान 'Not Allowed'

  • रोहिताश्व कृष्ण मिश्र

  • Aug 24, 2015, 16:45 PM IST
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फोटो पद्मनाभस्वामी मंदिर की है, जिसके पीआरओ ने लोगों को मंदिरों में दान देने से बचने की सलाह दी है।
नई दिल्ली. वीजा टेंपल के नाम से मशहूर हैदराबाद का चिलकुर बालाजी मंदिर है जहां दान देना सख्त मना है। आपको इस मंदिर में एक भी दान पात्र नहीं मिलेगा। हफ्ते में सिर्फ 3 दिन खुलने वाले इस मंदिर में 70 हजार से 1 लाख श्रद्धालु आते हैं। लेकिन मंदिर इन श्रद्धालुओं से एक रुपया भी दान नहीं लेता है। उलटा यहां के पुजारी अपने मंदिर में दान देने की जगह भक्तों को गरीबों पर खर्च करने की सलाह देते हैं। मंदिर का खर्चा परिसर के बाहर बने पार्किंग से आने वाले पैसों से अच्छे से चलता है। वहीं, एक दूसरा मंदिर विनाशक शनि जहां जज, नेता, मंत्री, आईएएस-पीसीएस और सांसद-विधायक की एंट्री बैन है। मंदिर का मानना है कि इनके चलते ही भ्रष्टाचार बढ़ रहा है।
एक तरफ देश में ऐसे अपने तरह के दो अलग मंदिर है। वहीं, दूसरी ओर भारत के सबसे बड़े मंदिरों में से एक शिर्डी साईं बाबा मंदिर के महंत यानी मुख्य पुजारी सुलेखाजी को दान के पैसों को चोरी करना गलत नहीं लगता है। उनका कहना है कि जहां तक दान के पैसों के गलत इस्तेमाल की बात है तो मेरी नजर में मंदिर में आए दान में से 5 या 10 फीसदी की चोरी करना कोई गलत नहीं है।
सुलेखाजी का ये बयान उस अपील पर आया है जिसमें मंदिरों में दान ना देकर सीधे अनाथों या गरीबों को दान करने की बात कही गई थी। ये कमेंट्स 11 अगस्त को देश के 4 बड़े मंदिरों में दान के गलत इस्तेमाल से जुड़ी चौंकाने वाली भास्कर की रिपोर्ट पर आए थे। कुल 1.20 लाख से ज्यादा रीडर्स ने अपने कमेंट दिए। इस मामले में वर्ल्ड काउंसिल ऑफ आर्य समाज के अध्यक्ष स्वामी अग्निवेश, बाबा रामदेव और श्रीश्री रविशंकर से बात की गई तो उन्होंने भी दान देना गलत बताया।
ये तो बात हुई देश के एक जाने-माने मंदिर के मुख्य पुजारी की, अब एक नजर डालें बाकी 3 अन्य बड़े और अमीर मंदिरों के मुख्य पुजारियाें और ट्रस्ट के जिम्मेदार अधिकारियों का मंदिर में दान देने की जगह अनाथों पर खर्च की अपील पर क्या कहा...
श्रीकांत मिश्रा, मुख्य पुजारी, काशी विश्वनाथ मंदिर गजानन मोदक, मुख्य पुजारी, सिद्धि विनायक मंदिर सुलेखाजी, मुख्य पुजारी, शिर्डी साईं मंदिर ए. वी. रमन्ना दीक्षितुलु, मुख्य पुजारी, तिरुपति तिरुमला मंदिर शंकर, पीआरओ, पद्मनाभस्वामी मंदिर ट्रस्ट पी. एन. द्विवेदी, डिप्टी सीईओ, काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट
"मंदिरों में दिए जाने वाले दान के पैसों से मंदिरों की व्यवस्था चलती है। इसलिए दान ना देना गलत होगा। श्रीश्री रविशंकर, रामदेव सब फालतू की बात कर रहे हैं। एक तरफ रविशंकर खुद दान ना देने की बात कर रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर उन्होंने खुद कई बार काशी विश्वनाथ मंदिर में आकर पुजारियों को हजारों-हजारों रुपए दान दिए हैं। अगर मंदिर दान के पैसों का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं तो उन्होंने दान क्यों दिया? वैसे भी लोग मंदिर में दान नहीं देंगे तो क्या कूडेदान में पैसा फेकेंगे...? ये सब आज दान ना देने की बात कर रहे हैं। कल को मंदिर को ही खत्म कर देने की बात करेंगे। मैं पूरी तरह से रामदेव, अग्निवेश और रविशंकर से असहमत हूं।" "धर्मगुरुओं के बयान पर कोई कमेंट नहीं करना चाहता हूं। हां, कुछ मंदिरों में दान के पैसों का गलत इस्तेमाल जरूर हो रहा है, लेकिन ऐसा सभी मंदिरों में नहीं है। श्रद्धालुओं पर मंदिरों में दान करने का कोई दबाव नहीं है। जिसकी मर्जी हो वो दान दे, जिसे नहीं देना वो ना दे।" "रामदेव, अग्निवेश और रविशंकर बड़े लोग हैं और हम पुजारी छोटे इंसान। इन्हें धर्म का ज्ञान नहीं है और ना हम सिखा सकते हैं। बस इतना कहूंगा भगवान तीनों धर्मगुरुओं को सदबुद्धि दें। जहां तक दान के पैसों के गलत इस्तेमाल की बात है तो मेरी नजर में मंदिर में आए दान में से 5 या 10 फीसदी की चोरी करना कोई गलत नहीं है।" क्या रामदेव, रविशंकर और अग्निवेश ने कभी तिरुपति या अन्य मंदिरों में दान दिया है जो दान के पैसों के गलत इस्तेमाल की बात कर रहे हैं। मुझे इस मामले में कोई कमेंट नहीं करना है। "तीनों धर्मगुरुओं ने जो कहा वो एकदम सही है। लोगों को मंदिरों में दान देने से बचना चाहिए।" "मैं मंदिरों में दान न देने की बात से सहमत नहीं हूं। इसका विरोध भी करता हूं। मंदिरों में भ्रष्टाचार तो है लेकिन भ्रष्टाचार कहां नहीं है? रामदेव जैसे लोगों को मंदिरों की ग्राउंड रियलिटी नहीं पता है। सिर्फ राजनीतिक फायदे के लिए मंदिरों में दान न देने की बात कर रहे हैं।"
देश के 6 बड़े मंदिरों का हाल- एक दिन में आता है 10 करोड़ दान
वैष्णो देवी, जगन्नाथ पुरी, तिरुपति तिरुमला, शिर्डी साईं बाबा, सिद्धि विनायक और काशी विश्वनाथ। इन 6 मंदिरों की एक दिन की औसत कमाई करीब 10 करोड़ रुपए है। वहीं, सालाना कमाई 3,287 करोड़ रुपए से भी ज्यादा है। ये पैसा दान के रूप में मंदिरों के पास आता है। पैसा मंदिरों के रख-रखाव के अलावा भी कई तरह से इस्तेमाल होता है। दरअसल, अकेले तिरुपति तिरुमला मंदिर की ही कुल संपत्ति 1.30 लाख करोड़ रु. है, जो मुकेश अंबानी की दौलत से भी ज्यादा है। फोर्ब्स 2015 की रिपोर्ट के अनुसार, अंबानी 1.29 लाख करोड़ रु. के मालिक हैं।

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