राजस्थान में जहाँ शिक्षा का स्तर भारत में सर्वोच्च स्थान पर था वहीं अब
शिक्षा विभाग की हठधर्मिता और मुख्यमंत्री की अनदेखी के कारण राजस्थान का
शैक्षणिक स्तर हीरो से ज़ीरो होने जा रहा है ,,,हालात अगर यही रहे तो
सरकारी स्कूलों में चल रहे भय और खौफ के वातावरण से तंग आकर छात्र छात्राएं
निजी स्कूलों में दाखिला लेकर अपना भविष्य सुधारने की कोशिश करेंगे जबकि
गरीब तबके की बेटियां अब पढ़ नहीं सकेंगी और राजस्थान में साक्षरता का गिराफ़
नीचे गिरने लगेगा ,,,,,,,राजस्थान में इन दिनों शिक्षा विभाग की हठधर्मिता
कहो या फिर निजी स्कूलों से साँठगाँठ कहो ,,शिक्षा विभाग ,, स्टाफिंग
पैटर्न सहित ,,स्कूलों की समय सीमा वृद्धि सहित कई नौसिखिये अव्यवहारिक
फैसलों से शैक्षणिक व्यवस्था को पलीता लगा रहा है ,,हालात यह है के आज
स्टाफिंग पैटर्न की उथल पुथल से स्कूलों में गणित ,,अंग्रेज़ी ,,सामाजिक
ज्ञान ,,,उर्दू ,,,संगीत ,,गृहविज्ञान ,,,,सहित कई दर्जन विषयों को पढ़ाने
के लिए स्कूलों में अध्यापक नहीं बचे है हर स्कूल में सभी विषय पढ़ने के
इच्छुक छात्र प्रवेश ले रहे है लेकिन उन्हें मनपसंद विषय पढ़ाने के लिए
विशेषज्ञ अध्यापक नहीं दिया गया है ,,जो पढ़ा रहे थे उन्हें स्टाफिंग पैटर्न
की हठधर्मिता के नाम पर हटा दिया गया है स्वीकृत पदों को बिना विधानसभा की
अनुमति के समाप्त करना विधि विरुद्ध तो है है साथ ही दूसरी विधानसभाओ सहित
पुरे राज्य के निर्वाचित सांसदों ,,विधायकों के साथ अन्याय है ,,,राजस्थान
में मिडिल बोर्ड है ,,राजस्थान में माध्यमिक ,,उच्च माध्यमिक शिक्षा बोर्ड
है ,,अध्यापक पर एक तो ट्रांसफर का तनाव ,,स्कूलों में अनावश्यक समय की
वृद्धि ,,पोषाहार ,,नामांकन सहित कई दूसरी सरकारी ज़िम्मेदारियाँ कभी चुनाव
में ड्यूटी लगती है तो कभी सर्वे में कुल मिलाकर अद्यापक गरीब की जोरू बना
दिया गया है ,,उस पर स्कूलों से विषयों की समाप्ति गणित का अध्यापक
सामाजिक पढ़ाये ,,सामाजिक का अध्यापक संस्कृत ,,संस्कृत का अध्यापक संगीत
सिखाये ,,उर्दू का अध्यापक संस्कृत पढ़ाये ,,,कूल मिलाकर एक विशेषज्ञ बी एड
प्रशिक्षित अध्यापक से अगर उसके द्वारा पढ़ाये जाने वाला विषय छीनकर दूसरा
विषय पढ़ाया जाएगा तो छात्र छात्राओं की गुणवत्ता पर फ़र्क़ पढ़ेगा ,,,विषय बंद
होंगे तो निश्चित तोर पर छात्र छात्राएं स्कूल छोड़ कर निजी स्कूलों में
जाएंगे ,,,आठवीं बोर्ड ,,माध्यमिक शिक्षा बोर्ड और उच्च माध्यमिक शिक्षा
बोर्ड का रिज़ल्ट घटिया रहेगा ,,राजस्थान में आज राजस्थान बोर्ड की पुरे
हिंदुस्तान में धाक है ,,विश्वसनीयता है जब अध्यापन की यही अव्यवस्था रही
तो राजस्थान में बोर्ड में टॉप करने वाले बच्चो का मनोबल गिरेगा
,,,ट्यूशन प्रवृत्ति को बढ़ावा मिलेगा ,,,,इतना ही नहीं जब बोर्ड का परिणाम
प्रतििष्टता घटेगी तो राजस्थान के छात्र छात्राओां को मेरिट कम होने से
यूनिवर्सिटी सहित दूसरी तकनीकी ,,,एम बी बी एस सहित शैक्षणिक योग्यता कम
होने से एडमीशन नहीं मिलेगा नतीजन राजस्थान में आने वाली पीढ़ी बेरोज़गार और
बेकार होगी और इन कारणों से नौजवान छात्र छात्राओं में निराशावाद बढ़ेगा
आत्महत्याओं का दौर चलेगा अराजकता का माहौल बनेगा ,,सो प्लीज़ राजस्थान के
सरपरस्तों ,,शिक्षाविदों ,,,माननीय मुख्यमंत्री महोदया ,,प्लीज़ अव्यवहारिक
सिद्धांतों की ज़िद छोड़े शिक्षाविदों की टीम बनाकर पुनर्निर्धारण
क्षेत्रवार छात्र छात्राओं की विषयवार संख्या और इच्छा के आधार पर फिर से
पूर्ववत कार्यवाही करे ,,,,,,शिक्षा में अराजकता का माहोल हमारे राजस्थान
के विकास को रोकने की एक साज़िश ,,हमे बीमारू राज्य बनाने की एक
षड्यंत्रकारी कार्यवाही है सो प्लीज़ नौकरशाहों की इस नीति को अव्यवहारिक
होने से ख़ारिज करे पूर्ववत कार्यवाही करे ,,अगर सरकार इस मामले में एक जुट
होकर नहीं जागी तो राजस्थान में आने वाले कल के काले अध्याय के लिए सरकार
खुद को माफ़ नहीं कर सकेगी ,,,,,,,,,,सरकार को सुचना चाहिए जब सरकार में
सत्तापक्ष की पार्टी से जुड़े लोग सांसद ,,विधायक ,,जन्पर्तीिनिधि इस नीति
के विरोधी है तो कुछ तो गड़बड़ है ,,कुछ तो साज़िश है ,,कुछ तो हठधर्मिता है
जिस पर रोक होना चाहिए बदलाव होना चाहिए ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,अख्तर खान
अकेला कोटा राजस्थान
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