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15 अगस्त 2015

कचहरी


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भले डांट घर में तू बीबी की खाना
भले जैसे तैसे गिरस्ती चलाना
भले जाके जंगल में धूनी रमाना
मगर मेरे बेटे कचहरी न जाना
कचहरी न जाना कचहरी न जाना॥
कचहरी हमारी तुम्हारी नहीं है
कहीं से कोई रिश्तेदारी नहीं है
अहलमद से भी मेरी यारी नहीं है
मीणा था पहले मीणा नहीं है॥
कचहरी की महिमा निराली है बेटे
कचहरी वकीलों की थाली है बेटे
पुलिस के लिए छोटी साली है बेटे
यहां पैरवी अब दलाली है बेटे॥
कचहरी ही गुन्डों की खेती है बेटे
यही जिन्दगी उनको देती है बेटे
खुलेआम कातिल यहां घूमते है
सिपाही दरोगा चरण चूमते हैं॥
कचहरी में सच की बड़ी दुर्दशा है
भला आदमी किस तरह से फंसा है
यहां झूठ की ही कमाई है बेटे
यहां झूठ का रेट हाई है बेटे॥

कचहरी का मारा कचहरी में भागे
कचहरी में सोये कचहरी में जागे
मरा जी रहा है गवाही में ऐसे
हैं तावें का हण्डा सुराही में जैसे॥
लगाते बुझाते सिखाते मिलेंगे
हथेली पे सरसों उगाते मिलेंगे
कचहरी तो बेवा का तन देखती है
कहां से खुलेगा बटन देखती है॥
कचहरी शरीफों की खातिर नहीं है
उसी की कसम लो जो हाजिर नहीं है
है बासी मुंह घर से बुलाती कचहरी
बुलाकर के दिनभर रुलाती कचहरी॥
मुकदमें की फाइल दबाती कचहरी
हमेशा नया गुल खिलाती कचहरी
कचहरी का पानी जहर से भरा है
कचहरी के नल पर मुवक्किल मरा है॥
मुकदमा बहुत पैसा खाता है बेटे
मेरे जैसा कैसे निभाता है बेटे
दलालों ने घेरा सुझाया बुझाया
वकीलों ने हाकिम से सटकर दिखाया॥
धनुष हो गया हूं मैं टूटा नहीं हूं
मैं मुट्‌ठी हूं केवल अंगूठा नहीं हूं
नहीं कर सका मैं मुकदमे का सौदा
जहां था करौंदा वहीं है करौंदा॥
कचहरी का पानी कचहरी का दाना
तुम्हें लग न जाये तू बचना बचाना
भले और कोई मुसीबत बुलाना
कचहरी की नौबत कभी घर न लाना॥
कभी भूलकर भी न आंखें उठाना
न आंखें उठाना न गर्दन फंसाना
जहां पाण्डवों को नरक है कचहरी
वहीं कौरवों को सरग है कचहरी।।

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