लखनऊ. यूपी की राजधानी लखनऊ में सोमवार को पुलिस ने कांग्रेस
नेताओं को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा। ये नेता विधानसभा का घेराव करने पहुंचे थे।
पुलिस के लाठीचार्ज में राज बब्बर सहित कुछ कांग्रेसियों को हल्की चोट
भी आई। बाद में लखनऊ से विधायक रीता बहुगुणा जोशी सहित सैकड़ों
कार्यकर्ताओं ने पुलिस के दमन के खिलाफ गिरफ्तारी दी।
क्यों और कैसे हुआ लाठीचार्ज
राज्य सरकार पर नाकामी का आरोप लगाकर कांग्रेस ने विधानसभा घेरने का
प्लान बनाया था।कांग्रेसियों ने पहले विधानसभा के बाहर धरना दिया, लेकिन
जब पुलिस ने वहां से उन्हें खदेड़ दिया, तो वे लक्ष्मण मेला मैदान पहुंचे।
वे वहां प्रदर्शन करने लगे। इस दौरान उन्होंने अपनी 15 सूत्री मांगें रखीं
और सरकार विरोधी नारे लगाए। इसके बाद वे दोबारा विधानभवन जाने लगे, तो
पुलिस ने पानी की बौछारों से उन्हें रोकने की कोशिश की। कार्यकर्ता नहीं
रुके तो पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। जवाब में कार्यकर्ताओं ने पथराव किया।
इसमें एक दर्जन से ज्यादा कार्यकर्ता घायल हुए हैं। कांग्रेस के प्रदेश
अध्यक्ष निर्मल खत्री सहित राज बब्बर को भी चोट आई है। उन्हें अस्पताल
पहुंचाया गया।
कांग्रेस के विरोध के मुद्दे
- यूपी की ध्वस्त कानून-व्यवस्था और नोएडा के चीफ इंजीनियर यादव सिंह के मामले में भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने की कोशिश।
- दलित और महिलाओं के साथ बढ़ रहे अत्याचार और आपराधिक मामले।
-प्रदेश में बिजली के दामों में भारी बढ़ोतरी और बिजली की भीषण कटौती।
-पश्चिमी यूपी में सांप्रदायिक तनाव पर सरकार की लापरवाही।
-सरकारी नौकरियों में हो रही भर्तियों में घोटाले।
-सरकारी भर्ती में अल्पसंख्यकों को सिर्फ तीन फीसदी प्रतिनिधित्व।
-बुनकर और मदरसों की खस्ताहालत, दलित छात्रों की छात्रवृत्ति बंद करना।
-किसानों के गन्ना मूल्य के बकाये का भुगतान न होने और चीनी मिल मजदूरों को वेतन न देना।
- यूपी की ध्वस्त कानून-व्यवस्था और नोएडा के चीफ इंजीनियर यादव सिंह के मामले में भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने की कोशिश।
- दलित और महिलाओं के साथ बढ़ रहे अत्याचार और आपराधिक मामले।
-प्रदेश में बिजली के दामों में भारी बढ़ोतरी और बिजली की भीषण कटौती।
-पश्चिमी यूपी में सांप्रदायिक तनाव पर सरकार की लापरवाही।
-सरकारी नौकरियों में हो रही भर्तियों में घोटाले।
-सरकारी भर्ती में अल्पसंख्यकों को सिर्फ तीन फीसदी प्रतिनिधित्व।
-बुनकर और मदरसों की खस्ताहालत, दलित छात्रों की छात्रवृत्ति बंद करना।
-किसानों के गन्ना मूल्य के बकाये का भुगतान न होने और चीनी मिल मजदूरों को वेतन न देना।
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