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31 अगस्त 2015

अब्दुल हामिद वो भारतीय सैनिक

अब्दुल हामिद वो भारतीय सैनिक जिसने अकेले ही अपनी गन और हौसले से पाकिस्तान के ११ अमेरिकी पेंटन टैंको को तबाह  कर दिया और हरियाणा को बचालिया "

अब्दुल हामिद जो पेशे से एक सिलाई करने वाले गरीब टेलर थे जिनका जन्म एक जुलाई १९३३ में धामपुर गाव गाज़ियाबाद उत्तेर प्रदेश में हुआ २७ दिसम्बर १९५४ को The Grenadiers infantry regiment as army number २३९८८५ में वो एनरोल हुए बाद में उनको पद्दौन्नत कर Agra, Amritsar, Jammu & Kashmir, Delhi, NEFA and रामगढ आदि विभिन्न ेस्थानो पर लगाया गया उन की अपनी ड्यूटी के प्रति लगन समझदारी और देश के लिय मरमिटने की के हावभाव को Sino-Indian युद्ध १९६२ बखूबी देखा गया इस समय उनको एंटी टैंक अनुभाग में सेवा पर लगा या जा चूका था एंटी टैंक अनुभाग में सेवा के पांच साल के बाद अब्दुल हमीद को पदोन्नत कर उनकी कंपनी को क्वार्टर स्टोर का प्रभार दिया गया १९६५ में भारत - पाक युद्ध के समय उनकी बटालियन को Khem Karan-Amritsar रोड पर लगा दी या गया भारतीय सैना इस समय गन्ने और कपास के खेतो से युद्ध एस्थल को कवर करने पर थी और अनन्य स्थलो पर युद्ध में बिजी थी पाकिस्तानी आर्मी ने मौका पाकर और भारतीय सैना कको काम आकते हुए अपनी सैना उस समय के बेहतरीन और आधुनिक अमेरिकी म४८ २५-२५ पैटर्न टैंक(वो टैंक जो गतिशील अवस्था में भी गोले बरसा सकता था ) खेम-कारन की और अटैक कर दिया उनके सामने लक्ष्य अमृतसर पर पूर्ण कब्ज़ा करना था उस समय अब्दुल हामिद जिनके पास एक जीप थे जिस पैर एक गन लगी थे केई नज़र दुश्मन की इस ताकत वॉर बटालियन पर पड गई उन्होंने आगे सुचना भेजने को बेजा पर परथतिथि ऎसे न थी के इन्तेजार किया जाता अतः कॅप्टन अब्दुल हामिद ने दुश्मनो के नापाक इरादो को भाप te हुए अपनी इस छोटी जीप से उनसे लोहा लेने और देश की मान मर्यादो को बचने का फैसला लिया और पाकिस्तानी अपराजेय माने जाने वाले उसके आधुनिक अमेरिकी m48 पैटन के आगे बड़ी वीरता से अपनी बन्दुक लगी जीप(गन माउनटेडजीप )उत्तार दिया फिर क्या था वो भारतीय शेर ७२ करोड़ हिन्दू- मुस्लिम की प्राथ्नाओ और दुआओ के भरसे उन टैंकों सैना पर टूट पड़ा देखते कहते एक कर के पाकिस्तानी सैना के टैंक तबह होने ले साथ ही था उन्होंने आतंक भी तेज़ कर दिया जिस के फल स्वरूप जीप पर बैठे जवान वीर गति को प्राप्त हुए और अब अकेले अब्दुल हामिद जीप पर अब भी अपनी वीरता देश प्रेम और ७२ करोड़ हिन्दू- मुस्लिम की प्राथ्नाओ और दुआओ के भरोसे उन आग उगलते तनको से लोहा ले रहे थी उनके शरीर को दुश्मनो की गोलियों ने लहू लुहान कर दिया था पर वह क्या जज़्बह था देश भक्ति का एक गोल टैंक के उन की जीप को लगा जिस से वो घायल हो कर दूर जा गिरे अब शरीर खून से लेथ भत था वर्दी फटकर लिर लिर हो चुकी थी लकिन वो देश भक्ति वो कुरबनी और वतन पर मरमिटने का जज़्बा अब्दुल हामिद में और जावा हो गया था इसके बाद भी जलती हुए जीप की को कवर लेते हुए दुश्मन के चार टैंकों और मट्टी में मिला दिया अब पाकिस्तानी से न का मनो बल गिर चूका था उस के ११ टैंक अब्दुल हामिद की वजह से ख़त्म थी अब अब्दुल हामिद शरीर दुषणो के टैंकों की के गोलों के टुकड़ो से इतना क्षतविक्षत हो चूका था की अब अब्दुल हामिद के शरीर की आत्मा भी उसे छूने वाली थी उर इसतरह अब्दुल हामिद ने आपने प्राणो की आहुति दे कर खून की बून्द बून्द से देश को बचाया आपने टैंकों तरह मट्टी पलीत होते देख अमेरिका भी शर्म शर था उसने इन्तनको की टेक्नोलॉजी बदल दी उर इनको अब m60 नाम दिया खेमरन में टैंकों पाकिस्तानी टैंकों की तबाही को देखते हुए वहाँ पड़े
पाकिस्तानी टैंकों को इखट्टा कर एक वॉर मेमोरियल ेथापित किया जिका नाम है "Patton Nagar" ("Patton Town") Khemkaran डिस्ट्रिक्ट में भारत सरकार ने अब्दुल हामिद की देलरी, बहादुरी , देश भक्ति को देखते हुए देश के सर्वोच्च सेन्य सम्मान परमवीर चक्र से नवाज़ा गया था। उनकी बहादुरी पर यह पुरूस्कार युद्ध के समाप्त होने से भी एक सप्ताह पहले ही, 16 सितम्बर १९६५ को घोषित कर दिया गया था। इसके अलावा इन्हें सैन्य सेवा मेडल, समर सेवा मेडल और रक्षा मेडल से भी अलंकृत किया गया

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