आपका-अख्तर खान

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10 अगस्त 2015

दर्द

दर्द मजलूम का सुनाएगा कौन
यहाँ अब आवाज़ उठाएगा कौन
अखबार तो नोट छापने लगे दोस्त
वतन की हकीक़त दिखायेगा कौन
हमारे नुमाइन्दे ही जालिम हुए
अब जालिमो से हमें बचाएगा कौन
मायूस निगाहे तलाश रही हैं
वतन में इन्कलाब लायेगा कौन

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