इन दिनों सावन का पवित्र महीना चल रहा है। ग्रंथों के अनुसार इस महीने
में भगवान शिव का पूजन करने व उपदेश सुनने का विशेष महत्व है। शिव का एक
अर्थ है कल्याण करने वाला। भगवान शिव मात्र लोटा जल चढ़ाने से भी प्रसन्न
हो जाते हैं और भक्त की हर मनोकामना पूरी कर देते हैं।
भगवान शिव सही अर्थों में परिवार के देवता हैं। क्योंकि ये एकमात्र ऐसे देवता हैं, जिनका परिवार संपूर्ण है। हिंदू धर्म में पूजे जाने वाले प्रमुख 5 देवताओं में से 3 शिव परिवार के ही सदस्य हैं। सावन के इस पवित्र महीने में हम आपको बता रहे हैं, शिव परिवार के बारे में-
भगवान शिव सही अर्थों में परिवार के देवता हैं। क्योंकि ये एकमात्र ऐसे देवता हैं, जिनका परिवार संपूर्ण है। हिंदू धर्म में पूजे जाने वाले प्रमुख 5 देवताओं में से 3 शिव परिवार के ही सदस्य हैं। सावन के इस पवित्र महीने में हम आपको बता रहे हैं, शिव परिवार के बारे में-
भगवान शिव
शिव को सृष्टि का प्राण माना जाता है। अगर शिव नहीं हों तो सृष्टि शव के समान हो जाती है। इस कारण शिव को कालों का काल यानी महाकाल भी कहा गया है। शिव प्राण देते हैं, जीवन देते हैं और संहार भी करते हैं। शिव का पूजन समस्त सुख देने वाला माना गया है। पूरी सृष्टि में सबसे आसानी से प्रसन्न होने वाले देवता की उपाधि भी शिव के पास ही है।पार्वती
भगवान शिव की पत्नी जगदंबा पार्वती हैं। शिवपुराण के अनुसार, ये
पर्वतराज हिमालय व मैना की पुत्री हैं। पार्वती को ही शक्ति माना गया है।
शरीर में शक्ति ना हो तो शरीर बेकार है। शक्ति तेज का पुंज है। मानव को हर
काम में सफलता की शक्ति पार्वती यानी दुर्गा देती हैं। भगवान शिव ने
अर्धनारीश्वर स्वरूप में स्वयं शक्ति के महत्व को सिद्ध किया है।
कार्तिकेय
ये भगवान शिव के बड़े पुत्र हैं। कार्तिकेय के पास देवताओं के सेनापति
का पद है। वे साहस के अवतार हैं। कम आयु में ही अपने अदम्य साहस के बल पर
उन्होंने तारकासुर का नाश किया था। इसलिए आत्मविश्वास और आत्मबल की
प्राप्ति कार्तिकेय से होती है। शिवपुराण के अनुसार, कार्तिकेय ब्रह्मचारी
हैं, वहीं ब्रह्मवैवर्त पुराण में इनकी पत्नी का नाम देवसेना बताया गया है।
श्रीगणेश
ये भगवान शिव के छोटे पुत्र हैं। इनका मुख हाथी का है इसलिए इन्हें
गजमुख भी कहा जाता है। श्रीगणेश को प्रथम पूज्य की उपाधि प्राप्त है। किसी
भी शुभ कार्य से पहले इनका पूजन किया जाता है। ग्रंथों में इन्हें परम
शक्तिशाली व बुद्धिमान बताया गया है। इनके पूजन से सभी कष्ट दूर हो जाते
हैं। गणेश पुराण के अनुसार, श्रीगणेश ने अनेक अवतार लेकर दुष्टों का अंत
किया है।
बहू
भगवान शिव की दो बहुएं हैं श्रीगणेश की पत्नी सिद्धि और बुद्धि।
शिवपुराण के अनुसार, ये प्रजापति विश्वरूप की पुत्रियां हैं। कुछ स्थानों
पर रिद्धि और सिद्धि का नाम मिलता है, लेकिन अधिकांश ग्रंथों में सिद्धि और
बुद्धि को ही गणपति की पत्नी माना गया है। सिद्धि कार्यों में, मनोरथों
में सफलता देती है। बुद्धि ज्ञान के मार्ग को प्रशस्त करती हैं।
पौत्र
ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार, भगवान गणेश के दो पुत्र हैं क्षेम और
लाभ। क्षेम हमारे अर्जित पुण्य, धन, ज्ञान और ख्याति को सुरक्षित रखते हैं।
सीधा अर्थ है हमारी मेहनत से कमाई गई हर वस्तु को सुरक्षित रखते हैं, उसे
कम नहीं होने देते और धीरे-धीरे उसे बढ़ाते हैं। लाभ का काम निरंतर उसमें
वृद्धि देने का है। लाभ हमें धन, यश आदि में निरंतर बढ़ोत्तरी देता है।
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