भगवान शिव के मंदिर दुनियाभर में मौजूद हैं। जहां भगवान शिव के
साथ-साथ कई देवी-देवताओं को अलग-अलग नामों से पूजा जाता है। भगवान शिव का
ऐसा ही एक बहुत सुंदर और प्राचीन मंदिर इंडोनेशिया के जावा में है। 10वीं
शताब्दी में बना भगवान शिव का यह मंदिर प्रम्बानन मंदिर के नाम से जाना
जाता है। शहर से लगभग 17 कि.मी. की दूरी पर स्थित यह मंदिर बहुत सुंदर और
प्राचीन होने के साथ-साथ, इससे जुड़ी एक कथा के लिए भी प्रसिद्ध है।
यहां रोरो जोंग्गरंग के पूजा जाता है देवी दुर्गा के रूप में
इस मंदिर में भगवान शिव के साथ एक देवी की भी मूर्ति स्थापित है। उस
मूर्ति को देवी दुर्गा के रूप में पूजा जाता है। यहां पर देवी की स्थापना
के पीछे एक कहानी है। कहा जाता है कि एक समय पर जावा का प्रबु बका नाम का
एक दैत्य राजा था। उसकी एक बहुत ही सुंदर बेटी थी, जिसका नाम रोरो
जोंग्गरंग था। बांडुंग बोन्दोवोसो नाम का एक व्यक्ति रोरो जोंग्गरंग से
शादी करना चाहता था, लेकिन रोरो जोंग्गरंग ऐसा नहीं चाहती थी। बांडुंग
बोन्दोवोसो के शादी के प्रस्ताव को मना करने के लिए रोरो जोंग्गरंग ने उसके
आगे के शर्त रखी। शर्त यह थी कि बांडुंग बोन्दोवोसो को एक ही रात में एक
हजार मूर्तियां बनानी थी। अगर वह ऐसा कर दे, तो ही रोरो जोंग्गरंग उससे
शादी करेगी। शर्त को पूरा करने के लिए बांडुंग बोन्दोवोसो ने एक ही रात में
999 मूर्तियां बना दी और वह आखिरी मूर्ति बनाने जा रहा था। यह देखकर रोरो
जोंग्गरंग ने पूरे शहर के चावल के खेतों में आग लगवा कर दिन के समान उजाला
कर दिया। जिस बात से धोखा खा कर बांडुंग बोन्दोवोसो आखरी मूर्ति नहीं बना
पाया और शर्त हार गया। जब बांडुंग बोन्दोवोसो को सच्चाई का पता चला, वह
बहुत गुस्सा हो गया और उसने रोरो जोंग्गरंग को आखिरी मूर्ति बन जाने का
श्राप दे दिया। प्रम्बानन मंदिर में रोरो जोंग्गरंग की उसी मूर्ति को देवी
दुर्गा मान कर पूजा जाता है।
स्थानीय लोग कहते हैं इसे रोरो जोंग्गरंग मंदिर
इस मंदिर की कथा रोरो जोंग्गरंग से जुड़ी होने की वजह से यहां के
स्थानीय लोग इस मंदिर को रोरो जोंग्गरंग मंदिर के नाम से भी जानते हैं।
रोरो जोंग्गरंग मंदिर या प्रम्बानन मंदिर हिंदुओं के साथ-साथ वहां के
स्थानीय लोगों के लिए भी भक्ति का एक महत्वपूर्ण केन्द्र है।
ब्रह्मा,विष्णु और शिव तीनों हैं यहां विराजित
प्रम्बानन मंदिर में मुख्य तीन मंदिर हैं- एक भगवान ब्रह्मा का, एक
भगवान विष्णु का और एक भगवान शिव का। सभी भगवानों की मूर्तियों के मुंह
पूर्व दिशा की ओर है। हर मुख्य मंदिर के सामने पश्चिम दिशा में उससे
संबंधित एक मंदिर है। यह मंदिर भगवानों के वाहनों को समर्पित है। भगवान
ब्रह्मा के सामने हंस, भगवान विष्णु के लिए गरूड़ और भगवान शिव के लिए
नन्दी का मंदिर बना हुआ है। इनके अलावा परिसर में और भी कई मंदिर बने हुए
हैं।
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