भगवान
श्रीगणेश को प्रसन्न करने के लिए प्रत्येक मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी
को व्रत किया जाता है, इसे विनायकी चतुर्थी व्रत कहते हैं। श्रावण मास में
आने वाली विनायकी चतुर्थी को दूर्वा गणपति व्रत भी कहते हैं। इस बार यह
व्रत 18 अगस्त, मंगलवार को है। यह व्रत इस प्रकार करें-
पूजन विधि
मंगलवार को सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि काम जल्दी ही निपटा लें। दोपहर
के समय अपनी इच्छा अनुसार सोने, चांदी, तांबे, पीतल या मिट्टी से बनी भगवान
श्रीगणेश की प्रतिमा स्थापित करें। संकल्प मंत्र के बाद भगवान श्रीगणेश की
षोड़शोपचार (सोलह सामग्रियों से) पूजन-आरती करें। गणेशजी की मूर्ति पर
सिंदूर चढ़ाएं। गणेश मंत्र (ऊं गं गणपतयै नम:) बोलते हुए 21 दूर्वा दल
चढ़ाएं। गुड़ या बूंदी के 21 लड्डुओं का भोग लगाएं।
इनमें से 5 लड्डू मूर्ति के पास रख दें तथा 5 ब्राह्मण को दान कर दें।
शेष लड्डू प्रसाद के रूप में बांट दें। पूजा में भगवान श्रीगणेश स्त्रोत,
अथर्वशीर्ष, संकटनाशक स्त्रोत आदि का पाठ करें। ब्राह्मणों को भोजन कराएं
और उन्हें दक्षिणा प्रदान करने के बाद शाम के समय स्वयं भोजन ग्रहण करें।
संभव हो तो उपवास करें। इस व्रत का आस्था और श्रद्धा से पालन करने पर भगवान
श्रीगणेश की कृपा से मनोरथ पूरे होते हैं और जीवन में निरंतर सफलता
प्राप्त होती है।
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