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02 अगस्त 2015

11 राज्यों के 111 सांसदों ने कहा- संसद में काम नहीं तो वेतन नहीं

11 राज्यों के 111 सांसदों ने कहा- संसद में काम नहीं तो वेतन नहीं
नई दिल्ली/जयपुर. संसद के मानसून सत्र का आधा वक्त बीत चुका है। अब तक हंगामे के अलावा कुछ भी नहीं हुआ है। विपक्ष सुषमा, वसुंधरा और शिवराज के इस्तीफे पर अड़ा हुआ है। इसी बीच केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा ने मुद्दा उछाल दिया कि सरकार संसद में ‘नो वर्क नो पे’ योजना पर काम कर रही है। मंगलवार को कांग्रेस ने इस पर पलटवार किया। पार्टी प्रवक्ता जयराम रमेश ने पूछा कि कौन कह रहा है कि हम काम नहीं कर रहे हैं? हम तो कठोर परिश्रम कर रहे हैं।’ लेकिन केंद्रीय मंत्री सीतारमन ने कहा कि अभी ऐसा प्रस्ताव नहीं है। पर सरकार विचार कर सकती है।

भाजपा के 104 सांसदों ने कहा- काट लीजिए वेतन, 47 ने कहा- क्यों काटेंगे, कांग्रेस के 4 सांसदों ने प्रस्ताव की हिमायत की, 11 ने विरोध किया
सांसदों को अपना अनुशासन तय करना ही होगा, नहीं तो...
संसदीय कार्य मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा कि सवाल सिर्फ वेतन-भत्ते का नहीं है। जनता चाहती है कि सांसद जिम्मेदारी पूरी करें। हम उस स्थिति में खुद को लाना नहीं चाहते जब जनता संसद चलाने की मांग को लेकर सड़कों पर उतर जाए। या फिर कोर्ट हमें आदेश दे। सांसदों को अपना अनुशासन तय करना होगा। ताकि किसी और को हम पर टिप्पणी करने का मौका न मिले।
5 साल पहले भाजपा भी तो यही कर रही थी, आज हृदय परिवर्तन क्यों?
2010 में पूरा शीत सत्र भाजपा के हंगामे की भेंट चढ़ गया था। अब इन लोगों का एकाएक हृदय परिवर्तन कैसे हो गया? हम भी तब यही कहा करते थे।’
-मनीष तिवारी, कांग्रेस प्रवक्ता
सरकार तो अपनी कारगुजारियां छिपाने के लिए बहस नहीं चाहती
सरकार हमारी बात सुनने को तैयार ही नहीं है। वह चाहती है कि मुद्दे पर बहस के बजाय हंगामा हाेता रहे। ताकि उनकी कारगुजारियों पर पर्दा पड़ा रहे।
-ज्योतिरादित्य सिंधिया, कांग्रेस सांसद
संसद में विपक्ष की दादागिरी या हुड़दंगी हर समय तो नहीं चलेगी
वेतन नहीं लेने का तो सवाल ही नहीं उठता है। जनता ने चुनकर भेजा है तो रूटीन काम तो हो। दादागिरी या हुड़दंगी हर समय नहीं चलेगी।
-नागेंद्र सिंह, भाजपा सांसद
जिन्हें इस्तीफा देना चाहिए वे ढीठ हो चुके हैं, उन्हें फर्क ही नहीं पड़ता
हंगामे से तो सिर्फ उन सांसदों काे ही फायदा हो रहा है जो किसी न किसी मामले में आरोपी हैं। लेकिन ढीठ इतने हो गए हैं कि इस्तीफा भी नहीं देते।
-चरणजीत सिंह रोड़ी, इनेलो सांसद
सत्ताधारी पार्टी सोचती है, मैं क्यों बात करूं: सोमनाथ
मैं जब स्पीकर था, तब आधा घंटा पहले फोन आता था- हम आज काम नहीं होने देंगे। आज भाजपा के पास बहुमत है। वह सोचती है मैं क्यों बात करूं। इसी से अध्यादेशों की जरूरत पड़ती है।’

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