दोस्तों खुसूसी इबादत की रात को मेरे समाज के गुमराह नौजवान घर से निकलकर
इबादत छोड़कर जो हरकते करते देखे गए ,,यक़ीनन उन हरकतों ने मुझे शर्मसार किया
है ,,सड़कों पर इन गुमराह नोजवानो की इन हरकतों से मेरा सर शर्म से झुका है
और मुझे पुरे शहर के लोगों को इन गुमराह नोजवानो की वजह से जो तकलीफ
पहुंची है जो परेशानी हुई है उसके लिए इन लोगों से माफ़ी मांगने में कोई
शर्म महसूस नहीं होती ,,दोस्तों कल शबेक़द्र की रात थी ,,मस्जिदों में फिर
मस्जिद के बाद घरो पर इबादत का फ़र्ज़ था ,,लेकिन कुछ गुमराह नौजवान
,,कुछ गुमराह लोगों के बहकावे में रहे क़ब्रिस्तान के सफर करते देखे गए
,,इतना था तब तक कोई बात नहीं लेकिन मेरे समाज के इन नोजवानो ने अपनी अपनी
मोटर साइक्लोन के सालेंसर खोल दिए ,,मोटर साइकल के शोर शराबे के साथ सड़को
पर ,,गलियों में ,चौराहों पर यह नौजवान ठहाकों के साथ मोटरसाइकिल रेसिंग
करते देखे गए ,,,कोटा शहर की सड़कों पर इन नोजवानो का क़ब्ज़ा था ,,कुछ
कारों में थे तो कुछ मोटरसाइकल ,,स्कूटर एक्टिवा पर थे ,,,,,,,,,,,जो शब
क़द्र की हो ,,जिस शब में इबादत की क़द्र हो उस शब को ,,उस शब को मनाने के
नाम पर इस तरह की धींगा मस्ती ,,इस्लाम की शक्ल ,,सूरत बिगाड़ देता है
,,,ताज्जुब इस बात पर है के सभी नोजवानो के वालिद वालदा हयात है उनकी
मौजूदगी में उनकी सहमति से यह बिगड़े रईस अपने साथ मध्यमवर्गीय नोजवान
दोस्तों को लेकर रात भर शोर शराबे में मुब्तिला रहे ,,एक तरफ तो वोह
नौजवान थे जो अपने मुस्तक़बिल को लेकर चिंतित थे परेशान थे घरो में इबादत
के बाद कोई ऐ आई पी एम टी की पढ़ाई पढ़ रहा था तो कोई दूसरे एक्ज़ाम की
तय्यरियों में जुटा था दूसरे समाज के नौजवान भी अपने अपने भविष्य की
तैयारियां कर रहे थे लेकिन मेरे छोटे भाई मेरे अपने नौजवान इस तरह से इबादत
की क़द्र की जाने वाली शब पर अपना वक़्त यूँ ही धींगा मस्ती और शोर शराबे की
शैतानियों में बर्बाद कर रहे थे ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,नौजवान कोन थे ,,किसके
भाई ,,किसके बच्चे थे सभी जानते है लेकिन कुछ एक नोजवानो को छोड़कर अधिकतम
नोजवानो का इस्लामिक लिबास उनकी पोल खोल रहा था ,,ऐसे नोजवानो के हमदर्दों
,,ऐसे नोजवानो के वालीदेन ,,बुज़ुर्गों से गुज़ारिश है के वोह अपने घर के
बच्चे जो इबादत के नाम पर अपने दोस्तों के साथ सड़कों पर थे उन्हें घर में
बिठा कर नादिम करे ,,शर्मिंदा करे ,, समझाइश करे ताकि अगले साल इस दिन
मस्जिदे आबाद रहे और सड़के सुनी नज़र आये वहां शोर शराबा बेहूदगी ना हो
,,,खुदा से दुआ है के खुदा इन गुमराह नोजवानो को राहे रास्त पर लाये ,,और
यह नौजवान अपनी ज़िम्मेदारियों समझ कर देश ,,समाज ,,,परिवार के लिए कुछ ऐसा
करने में जुट जाए जो मेरा सर जो आज इन नोजवानो की वजह से जो शर्म से झुका
पढ़ा है वोह फख्र के साथ ऊंचा हो जाए ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,अख्तर
खान अकेला कोटा राजस्थान
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