आपका-अख्तर खान

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18 जुलाई 2015

ईद मनाते हे.

आओ एक ईद मनाते हे..
कुछ सेवेयां तुम ले आओ ..
कुछ उसमे दूध हम मिलाते हे..
आओ एक ईद मनाते हे..
एक दिया तुम रख दो मंदिर में ..
एक शमां हम मस्जिद में जलाते हे..
आओ एक ईद मनाते हे..
क्यों तेरा मेरा कर लड़ते रहे अब तक ..
शाहे शरीर हे.. बे- गेरत ये सब को बताते हे..
आओ एक मुक्कमल ईद मनाते हे..
बहुत हो चूका ..धर्म के नाम पर इंसानियत का बंटवारा..
अब एक हो कर सारी दुनियां को ताकत दिखाते हे .
आओ सब मिल कर एक ईद मनाते हे..
जो कहते थे कभी की हमारे दम से हे दुनियां..
आओ उन्हें हारा हुआ सिकंदर .. और कब्र में दफ़न अकबर महान दिखाते हे..
आओ सब मिल कर एक ईद मनाते हे..
सारी दीवारे ..तेरा मेरा की छोड़ कर दूध और सिवय्यें से एक हो जाते हे ..
आओ मिल कर एक ईद मनाते हे.

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