नहीं मांगता शजर-ए-
अमीरी या खुदा,
मिलती रहे सबको रोटी ,ये दुआ मांगता हूँ!
गैरों की खुशहाली से न हो जलन,
दिल में बस सब्र -ए- अरमां मांगता हूँ !!
अमीरी या खुदा,
मिलती रहे सबको रोटी ,ये दुआ मांगता हूँ!
गैरों की खुशहाली से न हो जलन,
दिल में बस सब्र -ए- अरमां मांगता हूँ !!
निकले न लब से बद्दुआ किसी के खातिर,
इरादे नेक और मुकम्मल इमान मांगता हूँ !!
उजड़े न चैन - ओ- अमन किसी का और,
तेरे ख्वाबों का खुशनुमा जहाँ मांगता हूँ !!
बँट गयी है दुनिया मजहबों में बहोत,
ऐ खुदा इंसानियत का एक कारवां मांगता हूँ !!
नहीं होते इंसान बुरे , हालात बना देते हैं,
ऐसे बुरे हालातों का न होना मांगता हूँ !! ...
इरादे नेक और मुकम्मल इमान मांगता हूँ !!
उजड़े न चैन - ओ- अमन किसी का और,
तेरे ख्वाबों का खुशनुमा जहाँ मांगता हूँ !!
बँट गयी है दुनिया मजहबों में बहोत,
ऐ खुदा इंसानियत का एक कारवां मांगता हूँ !!
नहीं होते इंसान बुरे , हालात बना देते हैं,
ऐसे बुरे हालातों का न होना मांगता हूँ !! ...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)