आपका-अख्तर खान

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19 जुलाई 2015

मिट्टी, मिट्टी में मिल जायेगी,

एक दिन,
जैसे तुम्हें दफ़न कर दिया जायेगा,
ठीक वैसे ही,
मुझे जला दिया जायेगा,
जैसे तुम्हारी मिट्टी, मिट्टी में मिल जायेगी,
हमारा राख भी मिट्टी में मिल जायेगा ।

फिर तो हमारा मज़हब . .
मिट्टी का मज़हब होगा
जहाँ,,
हम भी मिट्टी,
तुम भी मिट्टी . .
ईद-दशहरा दोनों मिट्टी
मंदिर और मस्जिद भी मिट्टी !!
फिर मिट्टी-मिट्टी,
बेहिचक मिला करेंगे . .
मिट्टी में . .
मिट्टी से फूल खिला करेंगे ।
प्रवीण कुमार ।

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