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05 जुलाई 2015

माहे रमज़ान

माहे रमज़ान मे कुछ जवानो ने एक बुढे को देखा के वो छुप कर खा पि रहा है..
जवानो ने उस बुढे से पूछा, चाचा आप रोज़े से नही हो?
बुढे ने कहा, हाँ रोज़े से हुँ सिर्फ खाता पिता हुँ..
जवानो ने हँसते हुवे कहा, क्या वाकई तुम रोज़े से हो?
बुढे ने कहा, वाकई मे रोज़े से हुँ लेकिन मेरा रोज़ा ईस तरह है..
मै झूट नही बोलता,
मै गाली नही देता,
मै ग़ैर औरत कि तरफ नज़र नही करता,
मै हराम माल नही खाता,
मै किसी का मज़ाक नही उङाता,
मै अल्लाह कि मना कि गई जगह पर नहीं जाता,
ना कोई वाजिब ना सुन्नत ना फर्ज़ छोङता हुँ,
बस खाता पिता हूँ क्योकि मै बुढा हूँ, मुझसे भुका नही रह जाता..
फिर बुढे ने उन जवानो से पूछा, क्या तुम्हारा रोज़ा है?
जवानो ने नज़रे झुका के शर्म के साथ जवाब दिया, नही हमारा रोज़ा नही है, हम सिर्फ खाते पिते नहीं हैं.

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