उज्जैन/ इंदौर. मध्य प्रदेश में पिछले कुछ दिनों से हो रही बारिश
से सबसे ज्यादा प्रभावित उज्जैन में मंगलवार सुबह कोटितीर्थ कुंड का पानी
भगवान महाकाल मंदिर के गर्भगृह तक पहुंच गया। शिवलिंग आधा पानी में डूबा
हुआ था और उसी स्थिति में महाकाल की भस्म आरती हुई।
हजारों साल बाद देखने को मिली ऐसी स्थिति
भस्म आरती के बाद मोटर चलाकर गर्भगृह से पानी बाहर निकाला गया। मंदिर
से जुड़े लोगों का कहना है कि हजारों सालों बाद ऐसी स्थिति देखने को मिली
है। बता दें कि कोटितीर्थ कुंड के जल से ही महाकाल का जलाभिषेक किया जाता
है।
समय ना टले इसलिए हुई डूबे महाकाल की भस्म आरती
महाकाल के वरिष्ठ पुजारी पंडित रमन त्रिवेदी के मुताबिक, महाकाल की
भस्म आरती हमेशा ब्रह्ममुहूर्त में होती है। मंगलवार की सुबह जब पुजारी
भस्म आरती के लिए मंदिर के गर्भगृह में पहुंचे तो उन्होंने देखा कि महाकाल
पानी में डूबे हुए थे। चूंकि आरती का समय भंग नहीं किया जा सकता, इसलिए
पानी निकाले बिना ही आरती करने का फैसला लिया गया।
क्षिप्रा किनारे के कई मंदिरों में अभी भी भरा है पानी
उज्जैन में बारिश के चलते क्षिप्रा और गंभीर दोनों ही उफान पर हैं।
इनमें पानी का वेग इतना ज्यादा है कि तट पर बने कई मंदिर अभी भी पूरी तरह
से पानी में में हैं। अंगारेश्वर महादेव जैसे कई मंदिरों के सिर्फ गुंबद ही
पानी के बाहर नजर आ रहे हैं।
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