आपका-अख्तर खान

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11 जुलाई 2015

गीत जो बरसों तक समझ में नहीं आये कुछ ताउम्र नही आएंगे


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'ज़िहाले मस्ती मकुन बरंजिश बहाले हिजरां बेचारा दिल है',(इस गीत को मैं 35 साल की उम्र तक-रिहाले बस्ती मकुन बरंजिश गाया करता था)
'इस मोड़ से जाती हैं कुछ सुस्त कदम राहें' ,(अंतरा तो और खतरनाक है-पत्थर की हवेली से शीशे के मकानों तक)
'खाइके पान बनारस वाला ' मैं समझता रहा की पान बनाने वाले से ग्राहक से कह रहा है,की पहले तू खा और उसके बाद मेरे लिए भी रस वाला पान बना, काफी सालोँ बाद समझ में आया की बनारस के पान प्रसिद्ध होते हैं

'तेरी प्यारी प्यारी सूरत को किसी की नज़र न लगे चश्मेबद्दूर' ,क्या बिना डिक्शनरी देखे कोई चशेबद्दूर का मतलब बता सकता है --------
ये तो मुझे तुरंत याद आ गए वे गाने हैं ,थोडा और ध्यान दूंगा तो लंबी लिस्ट बन जायेगी
ऐसे गीत सुरीली आवाज़ों और संगीत की जादूगरी के दम सेआज भी हमें कंठस्थ हैं चाहे हम ज़िन्दगी भर उनका अर्थ न समझ पाएं

1 टिप्पणी:

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