दोस्तों आज़ादी की जंग हो ,,पढ़ाई की जंग हो ,,औद्योगीकरण की जंग हो
,,,,,आपसी जंग हो ,,,या फिर उर्दू और तहज़ीब को बचाने की जंग हो ,,,,कोटा हर
जंग में राजस्थान में ही नहीं पुरे देश में अव्वल रहता है ,,,राजस्थान के
सभी स्कूलों में उर्दू विषय खत्म किया गया है लेकिन कोटा ही एक मात्र ऐसा
केंद्र बिंदु है जहाँ प्रबंधन तरीके से मर्दानगी के साथ उर्दू और तहज़ीब को
बचाने के लिए जंग की शुरुआत की गई है ,,अफ़सोस इस बात का है के कोटा के
अलावा दूसरे शहर दूसरे ज़िले के लोग आज तक भी हाथ पर हाथ धरे बैठे
है ,,जयपुर ,,जोधपुर जैसे बढ़े ज़िलों के लोग इस मामले में खामोश है ,,उर्दू
की हमदर्द ,,उर्दू से जुड़े लोगों के वोट बटोरने बटोरने वाली सियासत तो
तवायफ की तरह मुजरा कर रही है और दिखावे के रूप में भी अब तक कोई खास
कार्यवाही कोई खास आंदोलन नहीं किया गया है ,,,,,, कोटा सहित सारे
राजस्थान में उर्दू को बेदर्दी से कुचला जा रहा है ,,कोटा तो ज़िंदा है
,,कोटा के विधायक ,,,मंत्री ,,सांसद सत्ता पक्ष के लोग उर्दू के पक्ष में
खुली हिमायत कर रहे है ,लगातार दबाव से ज़िलों के कलेक्टरों के भी समझ में
आया है के अनावश्यक रूप से उर्दू को गलत टारगेट बनाया है सरकारी अधिकारी
भी इस अन्याय को सुधारना चाहते है ,,एक जानकारी के मुताबिक़ कोटा के पैतीस
स्कूलों में विषय खत्म करने पर दुबारा संबंधित विषयों को दुबारा से यथावत
रखने की सिफारिश की जा रही है जिसमे उन्तीस उर्दू संबंधित सिफारिशें है
,,,,,,,,,,,दोस्तों राजस्थान के कई इलाक़ों में ईद है ,ईद के इस जश्न को
अगर सभी ज़िले के क़ाज़ी ,,मुल्ला और समाजसेवक उर्दू और हिंदुस्तानी तहज़ीब
बचाने के आंदोलन का रूप दे दे तो बेचारी ,,बेबस बनी उर्दू फिर से ज़िंदा
हो सकती है ,,, आज़ाद हो सकती है
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,क्या कोटा के अलावा
राजस्थान के सभी ज़िलों के लोग उर्दू को ज़िंदा करने ,,उर्दू को बचाने के
लिए थोड़ा खुद को तकलीफ देंगे अपने अपने सियासी आकाओ की गुलामी से मुक्त
होकर दो पल ,,दो क्षण अपनी कॉम के बारे में भी सोचेंगे ,,,,,,,,,अख्तर खान
अकेला कोटा राजस्थान
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