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06 जुलाई 2015

महान राजा सिकंदर

महान राजा
सिकंदर, कई देशों, राज्यों पर विजय
पाने के बाद अपने घर लोट रहा था.
रास्ते में वो बीमार पड़ गया. काफी महीनो वो बिस्तर पर पड़ा रहा.
सिकंदर समझ गया की अब मौत आने
वाली है. सिकंदर ने महसूस किया की
उसकी जीती गयी रियासतें, उसकी
विशाल सेना, उसका इकठ्ठा किया
हुआ धन और उसकी धारदार तलवार अब किसी काम की नहीं रही. उसके
किसी भी काम नहीं आ सकती. उसने अपने सेनापतियों को बुलाया और
बोला, " मैं अब इस दुनिया से जाने
वाला हूँ, लेकिन मेरी तीन इच्छाएं है,
क्या तुम बिना असफल हुए इसे पूरी
करोगे?" इतना कहते हुए उसकी आँखों से
आंसू बहने लगे. सेनापतियों ने तीनो अन्तिम इच्छाएं पूरी करने का
वादा किया. सिकंदर बोला " मेरी पहली इच्छा है
की मेरा इलाज करने वाला हकीम ही
मेरे ताबूत को खींच कर कब्र तक ले
जायेगा." "दूसरी ये की जब मेरा ताबूत
कब्र तक ले जाया जाये तो उस रास्ते में
मेरे इकठ्ठे किये हुए खजाने में से सोने चांदी बहुमूल्य पत्थर बिखेरे जाएँ. और
मेरी तीसरी और आखिरी इच्छा है की
मेरे दोनों हाथ ताबूत में से बाहर
दिखाई देने चाहिए." आस पास खड़े लोगों को सिकंदर की
इच्छाएं सुनकर बड़ा आश्चर्य हुआ. परन्तु
किसी की कुछ कहने की हिम्मत नहीं
हुई. सिकंदर का खास सेनापति उसके
पास आया और उसने सिकंदर का हाथ
पकड़कर उसे चूमा, और उसे अपने छाती पर रखकर बोला "हे राजा हम आपको
विश्वास दिलाते हैं की आपकी तीनो
इच्छाएं अवश्य पूरी की जाएगी. लेकिन
कृपया आप बताएं की इसी
आश्चर्यजनक इच्छाओं के पीछे क्या
कारण है?" यह सुनकर सिकंदर ने एक गहरी साँस ली,
और बोला " मैं दुनिया को तीन पाठ
पढाना चाहता हूँ, जो मैं सीख चूका हूँ.
मैं अपने हकीम के जरिये अपना ताबूत
इसलिए लेजाना चाहता हूँ क्योंकि
लोगों को यह जानना चाहिए की कोई भी हकीम हकीकत में आपका
इलाज नहीं कर सकता. ये शक्ति हीन हैं
आपको मौत के चंगुल से बचा नहीं
सकता. इसलिए लोगों को अपनी
जिंदगी हकीम द्वारा दी हुई नहीं
समझनी चाहिए. कब्र के रास्ते में सोना चांदी
बेशकीमती पत्थर इसलिए बिखेरना
चाहता हूँ ताकि लोग यह जान सकें की
सोने चांदी का जर्रा भी मैं लेके नहीं
जा रहा हूँ. उससे लोग यह सीखेंगे की
ज्यादा धन का पीछा करने में समय गवाना व्यर्थ है. इससे समय नष्ट होता
है. और मेरी तीसरी इच्छा की मेरे दोनों
हाथ ताबूत से बाहर रखें जाएँ वो
इसलिए है क्योंकि मैं चाहता हूँ की
लोग देखें की मैं खाली हाथ आया और
खाली हाथ चला गया.

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