आपका-अख्तर खान

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23 जुलाई 2015

एक कहानी लिख डालूं

बहुत दिनों से सोच रहा हूँ एक कहानी लिख डालूं
गंगा यमुना झेलम जैसा निर्मल पानी लिख डालूँ
सोच रहा हूँ गर्म लहू की कोई रवानी लिख डालूँ
चंद्रशेखर आजाद सरीखी वीर जवानी लिख डालूँ
हां आज़ाद वही जो भारत माँ की आँख का तारा था
भारत की आज़ादी का आज़ाद स्वम् ही नारा था
खेल खिलोने न भाये वो हथियारों से खेला था
निर्मम कोड़ों को बचपन में तन पे अपने झेला था
शेरों सी हुंकार को सुनकर तख़्त फिरंगी डोल गया
आजाद रहूंगा जीवन भर में भरी अदालत बोल गया
भरकर भावों से मन को मैं श्रद्धा सुमन चढ़ाता हूँ
भारत माँ के अमर पुत्र की अमर कथा दोहराता हूँ
मेरे अमर शहीद चंद्रशेखर आज़ाद जी को जन्म दिवस 23 जुलाई के अवसर पर विनम्र श्रधान्जली...... एवं कृतज्ञ राष्ट्र का शत् -2 नमन

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