आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

06 जुलाई 2015

मंजर बदल गया

एक उसके चले जाने से
सारा मंजर बदल गया
घर वही ...
आँगन वही ...
दर - ओ - दीवार वही
पर अजनबी सी लगने लगी
सारी खुशियाँ ...
काश कि तुम फिर चले आओ
और फिर से जगमगाने लगे
दरीचा - ए - बहार ।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...