एक उसके चले जाने से
सारा मंजर बदल गया
घर वही ...
आँगन वही ...
दर - ओ - दीवार वही
पर अजनबी सी लगने लगी
सारी खुशियाँ ...
काश कि तुम फिर चले आओ
और फिर से जगमगाने लगे
दरीचा - ए - बहार ।
सारा मंजर बदल गया
घर वही ...
आँगन वही ...
दर - ओ - दीवार वही
पर अजनबी सी लगने लगी
सारी खुशियाँ ...
काश कि तुम फिर चले आओ
और फिर से जगमगाने लगे
दरीचा - ए - बहार ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)