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22 जुलाई 2015

याकूब की फांसी टलनी तय, सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- क्‍या गवर्नर ले सकते हैं फैसला?

फाइल फोटोः याकूब मेमन।
फाइल फोटोः याकूब मेमन।
नई दिल्ली. 22 साल पुराने मुंबई सीरियल ब्लास्ट के मास्टरमाइंड याकूब मेमन की फांसी 30 जुलाई को टल सकती है। इसकी वजह है एक नियम जो कहता है कि आखिरी पीटिशन खारिज होने और फांसी के बीच कम से कम 14 दिन का वक्त होना चाहिए। जबकि मेमन की पीटिशन मंगलवार को यानी फांसी की तय तारीख से 9 दिन पहले ही खारिज हुई थी।
इस बीच, मेमन ने महाराष्ट्र के गवर्नर को 2436 पेज की मर्सी पीटिशन भेज दी। ऐसे ही एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सवाल उठाया कि क्या गवर्नर ऐसी किसी पीटिशन पर विचार कर सकते हैं, जिसे राष्ट्रपति ठुकरा चुके हों? बता दें कि मेमन 12 मार्च 1993 को मुंबई में 2 घंटे के अंदर हुए 13 सीरियल ब्लास्ट का मास्टरमाइंड है। वह 257 लोगों की मौत का दोषी है।
30 जुलाई को फांसी के आसार क्यों नहीं?
सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी 2014 को एक आदेश दिया था। इसके मुताबिक, किसी दोषी की अाखिरी पीटिशन खारिज होने और उसे फांसी दिए जाने के दिन के बीच कम से कम 14 दिनों का गैप होना चाहिए। तब सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रहे पी. सदाशिवम की बेंच ने कहा था, ‘इस गैप से दोषी खुद को सजा के लिए तैयार कर सकेगा। आखिरी बार वह अपने फैमिली मेंबर्स से मिल सकेगा। यह जेल सुपरिडेंटेंट का जिम्मा है कि वह मर्सी पीटिशन खारिज होने की जानकारी दोषी की फैमिली तक समय रहते पहुंचा दे।’
याकूब ने गवर्नर को क्यों भेजी मर्सी पीटिशन?
याकूब मेमन के वकील अनिल गेड़ाम ने बताया कि उनके मुवक्किल ने महाराष्ट्र के गवर्नर विद्यानिवास राव को पीटिशन भेजी है। संविधान के आर्टिकल 161 के तहत गवर्नर को किसी शख्स की सजा-ए-मौत माफ करने, फांसी पर रोक लगाने या उसे उम्रकैद में बदलने का अधिकार है। गर्वनर उन मामलों में ये फैसला ले सकते हैं, जो राज्य की एग्जीक्यूटिव पावर के दायरे में आते हों।
सुप्रीम कोर्ट ने गवर्नर के अधिकारों पर क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट की कॉन्स्टीट्यूशन बेंच बुधवार को पूर्व पीएम राजीव गांधी के हत्यारों से जुड़े मामले पर सुनवाई कर रही थी। कोर्ट ने यह सवाल उठाया कि क्या गवर्नर ऐसी किसी मर्सी पीटिशन पर सुनवाई कर सकते हैं जिसे एक बार राष्ट्रपति ठुकरा चुके हों? इस पर सॉलिसिटर जनरल रंजीत कुमार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि अगर राष्ट्रपति मर्सी पीटिशन ठुकरा चुके हैं तो उस पर गवर्नर सिर्फ बदले हुए हालात में सुनवाई कर सकते हैं। हालांकि, कुमार ने यह साफ नहीं किया कि बदले हुए हालात से उनके क्या मायने हैं?
याकूब ने पहले कब दी थी मर्सी पीटिशन?
अप्रैल 2014 में प्रेसिडेंट ने जो मर्सी पीटिशन खारिज की थी, वह याकूब के भाई सुलेमान मेमन ने दायर की थी। गवर्नर को भेजी गई पीटिशन खुद याकूब ने दी है। मंगलवार को उसने पीटिशन नागपुर सेंट्रल जेल को सौंपी। इसे राज्यपाल सी विद्यासागर राव के पास भेजा जाएगा।
EXPERT VIEW : गवर्नर के पास पीटिशन भेजने के बावजूद याकूब को नहीं मिलेगी राहत
1. गवर्नर को भेजी पीटिशन में क्या हैं कानूनी पेंच?
- सुप्रीम कोर्ट के वकील धीरज सिंह ने dainikbhaskar.com को बताया कि फांसी की सजा के मामले में आखिरी फैसला लेने का हक सिर्फ राष्ट्रपति को है। वहीं, सुप्रीम कोर्ट के पास एग्जीक्यूटिव के फैसले के ज्यूडिशियल रिव्यू का अधिकार है। शायद इसीलिए सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केंद्र से पूछा भी है कि क्या गवर्नर किसी मर्सी पीटिशन पर विचार कर सकते हैं?
2. क्या बच जाएगा याकूब?
संविधान के एक्सपर्ट सुभाष कश्यप ने dainikbhaskar.com को बताया कि याकूब को पीटिशंस भेजने का हक है, लेकिन अब इसका कोई मतलब नहीं रह जाता। राष्ट्रपति पहले ही उसकी अर्जी खारिज कर चुके हैं, भले ही वह अर्जी उसके भाई सुलेमान ने दायर की हो। ऐसे में अब गवर्नर को भेजी अर्जी से उसे शायद ही राहत मिले। वहीं, सीनियर लॉयर आभा सिंह का कहना है- क्रिमिनल प्रोसिजर कोड की धारा 433 के तहत सजा-ए-मौत को उम्र कैद में तब्दील किया जा सकता है। लेकिन राष्ट्रपति की ओर से मर्सी पीटिशन और सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पीटिशन खारिज होने के बाद मेमन के लिए कोई उम्मीद बचती नहीं है।
3. फैसला बदलने का क्या हो सकता है बेसिस?
दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के चेयरमैन राजीव खोसला ने बताया कि मेनन ने गर्वनर के जरिए रहम की अर्जी लगा कर सिर्फ एक चांस लिया है, लेकिन राहत की कोई उम्मीद नहीं है। उसकी अपील को गर्वनर, प्रेसिडेंट के पास भेेजेंगे। प्रेसिडेंट एक बार अर्जी पर फैसला ले चुके हैं। फैसला बदलने का कोई ठोस आधार नजर नहीं आता। याकूब की फांसी 30 तारीख को तय है। इस बीच अगर उसकी अर्जी पर फैसला नहीं हुआ तो वह इसी आधार पर सुप्रीम कोर्ट जा सकता है। उसकी फांसी कुछ दिन के लिए टल सकती है। लेकिन सजा कम होने की संभावना बिल्कुल नहीं है।
अगर हुई फांसी तो, सुबह 3:20 बजे नाश्ता और 4 बजे मिलेगी मौत
नागपुर जेल में मेमन को 30 जुलाई की तारीख तय मानकर ही फांसी देने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए रस्सी तैयार हो रही है। फांसी के वक्त जल्लाद के अलावा जेल सुपरिंटेंडेंट, डिप्टी सुपरिंटेंडेंट, असिस्टेंट सुपरिंटेंडेंट और मेडिकल अफसर भी मौजूद रहेंगे। डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के आदेश पर वहां एक एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट वारंट पर काउंटर साइन के लिए मौजूद रहेगा।

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