नमाज़ की संघ के लोग तारीफ़ करते है ,,फिर गृह मंत्री तारीफ़ करते है ,,फिर
देश भर में योगा का अभियान होता है कोनसी बुरी बात है ,,योगा की प्रेरणा
ठीक बात है लेकिन बाध्यता किया जाना गलत है ,,चाँद ,,सूरज के झगड़े में योगा
का सत्यानास हो रहा है ,,,जिसे खुदा ने बनाया जो चाँद खुदा की मर्ज़ी से
बना ,,जो सूरज खुदा की मर्ज़ी से बना ,,जो नमाज़ खुदा की इबादत के लिए है
,,,जो योगा खुद की सह्त्याबी के लिए है ,,,उस मामले में कोई बहस क्यों
,,जिसकी मर्ज़ी पढ़े जो करो ,,योग करो ,,नमाज़ पढ़ो ,,चरण स्पर्श करो ,ढोंग दो
,,,,,व्यायाम करो ,,पीटी करो ,,कसरत करो ,,,बाबा की पंतजलि पर जाओ ,,दूसरे
बाबाओ के यहां जाओ ,,कोई फ़र्क़ नहीं पढ़ता ,,,,अख्तर
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