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21 जून 2015

में बात कर रहा हूँ रेनू श्रीवास्तव एंकर की जो जल्द ही पत्रकारिता में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त कर डॉक्टर रेनू होने जा रही है

यु तो में क़तरा हूँ मेरे अंदाज़ ने मुझे समंदर बना दिया ,,यूँ तो में एक कण हूँ खूबियों ने मुझे पर्वत बना दिया ,,,,जी हाँ दोस्तों में बात कर रहा हूँ रेनू श्रीवास्तव एंकर की जो जल्द ही पत्रकारिता में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त कर डॉक्टर रेनू होने जा रही है ,,,जैसा नाम वैसा ही काम एक कण ,, रेनू यानि एक अणु ,,जिससे मिलकर पूरी कायनात ,,पूरी दुनिया बनाई गई है ,,,अगर उसका अंदाज़ निराला हो ,, उसमे मौसीक़ी हो ,,हिम्मत हो ,,जज़्बा हो ,, तो यह अणु ,,,एक समंदर,,, एक पर्वत का रूप ले लेता है ,,और खुद रेनू ने ,,,अपनी महनत और लगन से,,, खुद को एंकरिंग और लेखन क्षेत्र में आकाश कर लिया है ,,,दोस्तों रेणु श्रीवास्तव जिसकी खनखनाती आवाज़ ,,जिसका अंदाज़ किसी भी बोझिल कार्यक्रम को खूबसूरत और आकर्षक बना देता है ,,,,कहते है अल्फ़ाज़ों में अगर रवानगी हो ,,मौसीक़ी हो ,,मिठास हो ,,अंदाज़ हो और सही वक़्त पर इन अल्फ़ाज़ों का उपयोग हो तो किसी भी बोझिल वातावरण को खुशगवार बनाया जा सकता है ,,रेनू श्रीवास्तव कार्यक्रम के संचालन ,,कार्यक्रम की खूबसूरत एंकरिंग के इस हुनर में माहिर है ,,मास्टर है और इसीलिए यह राजस्थान में एंकरिंग की दुनिया में आज सर्वोच्च हो गई है ,,,,मेला दशहरा हो ,,,,पुलिस प्रशिक्षण या फिर स्किल डवलपमेंट कार्यक्रम हो ,,,आज़ादी के स्वर का कार्यक्रम हो ,,हिंदी दिवस समारोह हो ,,आकाशवाणी हो ,,,टी वी चैनल हो सभी जगह एक नए अंदाज़ ,,नए जज़्बात ,,नए अलफ़ाज़ ,,नयी मौसीक़ी ,,नया रिदम ,,नये व्यक्तित्व के साथ लुभावने अंदाज़ में जब रेनू एंकरिंग करती है तो जो भी कार्यक्रम हो उसकी रूह उसकी आत्मा बन जाती है ,,,,,एक बोझिल वातावरण खुशनुमा माहोल में बदल जाता है ,,,जैसे एक खूबसूरत ग़ज़ल को लोग सुनते भी ,,देखते भी है ,, समझते भी है और दाद भी देते है बस कमोबेश इसी अंदाज़ में रेनू की एंकरिंग को लोग सराहते है उस लम्हे को यादगार बनाते है ,,,,,,,,,,,,,रेनू श्रीवास्तव एक घरेलू ग्रहणी के साथ अपनी सारी पारिवारिक ज़िम्मेदारियों को बखूबी निभाती है ,,सामाजिक ज़िम्मेदारियाँ ,,कामकाजी महिला होने की वजह से नौकरी की ज़िम्मेदारी निभाने के बाद अपने इस एंकरिंग के हुनर को आकाश कर लेना वाक़ई क़ाबिले तारीफ़ है और रेनू की इस कामयाबी को देखकर खुद ब खुद दिल से दाद निकल उठती है वाह वाह कहने को जी करता है ,,,,,,,,,,रेनू ने हिंदी साहित्य में एम ऐ किया फिर पत्रकारिता में स्नातक के बाद स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की कामकाजी महिला के साथ पारिवारिक दाम्पत्य जीवन के निर्वहन के साथ रेनू ने अपना होसला दिखाया अपने एंकरिंग के हुनर को तराशा ,,संवारा और खुद को आकाश कर लिया ,,रेनू अभी थकी नहीं है उन्होंने उदयपुर से पत्रकारिता विषय पर पी एच डी शुरू की है रेनू शीघ्र ही शोध के बाद रेनू से डॉक्टर रेनू कहलायी जाने लगेंगी ,,कोटा वर्धमान विद्यालय में अपने कार्यालय समय में पूरी ज़िम्मेदारी से काम करने के बाद रेनू कोटा आकाशवाणी में भी एंकरिंग करती है ,,कई कार्यक्रम संचालित करती है ,,कई साक्षात्कार लेती है ,,जबकि अपनी पुरकशिश आवाज़ ,,,,लुभावने अलफ़ाज़ ,,अल्फ़ाज़ों में गीत ,,रिदम ,,मौसीक़ी के नए अंदाज़ के साथ रेनू झालावाड़ में चन्द्रभागा मेले की कई सालों से लगातार एंकरिंग कर रही है जबकि कोटा मेले दशहरे में भी आपकी एंकरिंग सर्वोच्च है ,,,रेनू अपने इस अंदाज़ को जब टीवी चैनल पर आकर्षक रूप से न्यूज़ रीडर के रूप में पेश करती है तो लोग इनके इस अंदाज़ को सराहते है ,,,रेनू श्रीवास्तव को चिश्ती प्रोडक्शन की तरफ से ,,,मिसेज़ कोन्ज़ीनाइलिटी ,,,एवार्ड से भी नवाज़ा गया जो चिश्ती प्रोडक्शन का ख्यात्मान एवार्ड है और इसके लिए ऐसी शख्सियत को चुना जाता है जो बहुमुखी प्रतिभा हो ,,हर दिल अज़ीज़ हो ,,जिसका अंदाज़ निराला हो आकर्षक हो ,,लुभावना हो ,,,,,,रेनू श्रीवास्तव महावीर युनिवर्सीटी के कार्यक्रमों की एंकरिंग कर उन कार्यक्रमों में तो जान फूंक ही देती है लेकिन इनकी तासीर है इनका हुनर है के किसी भी बोझिल कार्यक्रम की एंकरिंग अगर इनके पास आ जाए तो उसमे यह रस बिखेर देती है ,,उस बोझिल कार्यक्रम को आकर्षक और मोहक बना देती है ,,रेनू श्रीवास्तव टी वी चैनल पर स्पोन्सर्ड फेमिली गेम शो में प्रतियोगी थी और इन्हे चौसठ युगल जोड़ी के प्रतियोगियों में से दूसरे स्थान पर रख कर विनर एवार्ड से नवाज़ा गया यह रेनू श्रीवास्तव और इनके हमदम ,,इनके जीवन साथी ,,इनके सारथि आशुतोष श्रीवास्तव के लिए गौरव का दिन था और इस जीत से इन्होने कोटा का भी नाम रोशन किया है ,,,,,, इस युगल कामयाब स्मार्ट जोड़ी का यह मुस्कुराता अंदाज़ किसी टूथपेस्ट का विज्ञापन नहीं यह तो इनका अंदाज़ है ,,इनकी जीवन शैली है ,,,,,,जिसका प्रमुख सिद्धांत हंसो और हँसते रहो खुद भी खिलखिलाओ दुसरो को भी खिलखिलाते रहो ,,बेजान ज़िंदगियों में अपनेपन का रंग भर दो ,,,बोझिल वातावरण को खुशगवार माहोल में बदल कर यही इसी सर ज़मीन पर माहोल स्वर्ग सा कर दो ,,,, इस निराले अंदाज़ को सलाम ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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