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21 जून 2015

योगा ,,योगा ,,योगा ,,आखिर योगा दिवस हो ही गया

योगा ,,योगा ,,योगा ,,आखिर योगा दिवस हो ही गया ,,,योगा एक कला ,,एक व्यायाम जिसने हमारे भारत को अंतर्राष्ट्री स्तर पर योग गुरु की पहचान दी ,,तस्वीयों और त्यागी साधू संतों ने इस योगा को दुनिया की ज़रूरत बना दिया ,, लेकिन योगा के नाम पर व्यापार और सियासत करने वालों ने इस योगा की हस्ती को मतीयामेट करने की कोशिश की है योगा बदनाम तो हुआ ,,लेकिन विश्व की ज़रूरत बनकर एक अटल वृक्ष की तरह खड़ा रहा ,,,,भारत में योगा को लेकर अनावश्यक विवाद पैदा किया योगा हिन्दू और नमाज़ मुसलमान हो गयी ,,अनावश्यक टकराव ,,अनावश्यक बयानबाज़ी नफरत फैलाने के अलफ़ाज़ सोशल मिडिया से लेकर इलेक्ट्रॉनिक मिडीया और प्रिंट मीडियिा पर चलते रहे ,,,योगा जिसका कोई धर्म नहीं है अगर योगा के साथ सूर्य नमस्कार करो तो योगा हिन्दू हो गया और अगर क़ुरआन की इबादत करो तो योगा मुसलमान हो गया ,,,अजीब बात है योगा करने वाला हिन्दू और मुसलमान तो है लेकिन इन्सान नहीं बन पा रहा है ,,खेर भारत में योगा के साथ सूर्यनमस्कार की बंदिश खत्म हुई ,,योगा बाध्यता नई ऐच्छिक रहा लेकिन योगा का प्रचार प्रसार ,,नेगेटिव प्रचार प्रसार ने इस योगा को प्रसिद्धि दी है ,,दोस्तों योगा दिवस केवल भारत में ही नहीं था यह विश्व स्तर पर मनाया गया ,,,,दिन तारीख़ तिथि क्या हुई यह दूसरी बात है लेकिन विश्व स्तर पर बनाये जाने वाले योगा को भारत में किसी व्यक्ति ,,किसी सरकार ,,किसी पार्टी ,,किसी विचारधारा से जोड़ कर देखना बेवकूफी की बात है ,,,केंद्र में सरकार मुस्लिम लीग की भी होती तो अंतर्राष्ट्रीय सिस्टम में योगा दिवस देश में मनाया जाता ,,,योगा में सूर्यनमस्कार का विवाद आते ही अंतर्राष्ट्रीय दबाव में योगा और सूर्यनमस्कार को अलग अलग कर दिया गया ,,,,,,योगा ज़िंदाबाद हो गया ,,भारत में अगर मुनाफाखोर विवादित योग गुरु के स्थान पर किसी योग के प्रति समर्पित योग गुरु को योगा का प्रचारक बनाया जाता ,,जिस पर हत्या ,,बेईमानी ,,फ़र्ज़ी पासपोर्ट के इल्ज़ामात नहीं होती ,,ऐसा योगी जो भोगी नहीं होता ,,योग को व्यापार से जोड़कर दवा का व्यापार नहीं करता ,,अगर ऐसा होता तो शायद देश का एक बढ़ा तब्क़ा सड़को पर उत्तर कर इस निर्विवाद जीवन के लिए आवश्यक व्यायाम योगा को करता ,,मानता ,,स्वीकारता ,,खेर योग दिवस कामयाब हुआ ,, आगे भी देश के लोगों के स्वास्थ्य के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए इस योग दिवस की ज़रूरत होगी लेकिन अगर योग की बागडोर निर्विवाद गैर व्यापारिक योग के प्रति समर्पण व्यक्ति को ज़िम्मेदारी दी जायेगी तो भारत का यह योग फिर से पुरे विश्व के पटल पर ज़िंदाबाद होगा और दैनिक प्रक्रियिा में चाहे पूजा हो ,,,,चाहे नमाज़ हो ,,,चाहे अरदास हो ,,,चाहे गॉड ब्लेस हो ,,,,सभी अपनी अपनी इबादत के बाद योगा को शरीर के लिए ज़रूरी समझकर करते देखे जाएंगे ,,,,,,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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