( कवि की एक अकविता)
----------------
कविता रचनाकार का अपहरण कर लेती है,और फिर जीवन भर केवल सांस लेने की मोहलत देती है ।
रचनाकार को भी धीरे धीरे अपहर्ता से प्रेम हो जाता है और वह चाहकर भी कविता केउसके चंगुल से भाग नहीं सकता ।
कवि चाहे कई सालोँ तक कोई नई रचना लिखे या न लिखे ,लेकिन उसका अंतर्मन अधिकांश समय सृजन रत रहता है ,कविता का उद्देश्य चाहे कुछ भी हो,कम कम से इतना है ,की अर्थ और बाजार के इस दौर में जब रिश्ते ,संवेदना ,भाषा , आदि बातें अधिकांश लोगों के लिये अप्रासंगिक हो गई हों ,तब भी एक कवि होता है ,जो गाँव की बर्बादी पर रोता है,भाषा की दुर्गति पर हाहाकार करता है,वह कवि ही है जो जब सारी दुनिया अपने सुविधा संपन्न घरों में सो चुकी होती है,तब वह फूटपाथ पर ठिठुर रहे लोगों को देखकर द्रवित होता है,इसलिए कवि से भागो मत ,उसे प्रेम करो ,उसे कभी कभी फुरसत में सुन लिया करो,
कवि ने तुम्हारे पथराए चेहरों पर मुस्कान लाने के लिए बड़े त्याग किये हैं,यदि विश्वास न हो तो उसकी पत्नी और बच्चों से पूछना
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)