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03 जून 2015

प्रतिदिन कुछ यूँ

प्रतिदिन कुछ यूँ
सुबह की
शुरुआत हो,
झूठ-बुराई से बचें,
सच-अच्छाई का
साथ हो!

उठते ही
प्रभु दर्शन हो,
सबके लिए
दुआओं से
भरा हमारा
मन हो !
किसी की
पीड़ा हरने का
हममें भाव जगे,
किसी के दिल को
हमसे ना कोई
ठेस लगे!
दिनभर
सद्कर्म हो,
पूर्ण जिम्मेदारी हो,
बचे रहें
पापकर्मों से,
ताकि
मन ना भारी हो!
भूलें थोडी देर
दुनिया को,
और खुद की
खुद से भी
बात हो,
प्रतिदिन कुछ यूँ
सुबह की
शुरुआत हो !!
-अशोक पुनमिया

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