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23 जून 2015

मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम

हमें हमारे बाप दादा के नाम के बाद नसब(खानदानी सिलसिला) याद नहीं है, मगर अल्लाह तआला ने अपने प्यारे हबीब हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम नसब का नाम महफूज़ रखा है.
गौर फरमाऐ,
🌠मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम
बिन अब्दुल्लाह
बिन अब्दुल मुत्तलिब
बिन हाशिम
बिन अब्दे मुनाफ
बिन कैस
बिन किलाब
बिन मुराॅह
बिन कअब
बिन लूअइ
बिन गिलाब
बिन फाहेर
बिन मालिक
बिन नज़र
बिन किनाना
बिन खुझैम
बिन मुदरीका
बिन ईलयास
बिन मुझर
बिन नजार
बिन माअद
बिन अवाद
बिन हामैसा
बिन सलमान
बिन औस
बिन बौस
बिन कमवल
बिन उबैद
बिन अवाम
बिन नशीद
बिन हिझा
बिन बलदाझ
बिन यदलाफ
बिन ताबिक
बिन जाहिम
बिन नाहिश
👉 बिन ईफी
👉 बिन अबकार
👉 बिन उबैद
👉 बिन अद्भुवा
👉 बिन हमदान
👉 बिन सनबार
👉 बिन यसराबी
👉 बिन यहझान
👉 बिन यलहान
👉 बिन ईरवा
👉 बिन अईझी
👉 बिन झिशान
👉 बिन इसार
👉 बिन अक्नाद
👉 बिन इहाम
👉 बिन मुकास्सीर
👉 बिन नाहिब
👉 बिन झारी
👉 बिन सामी
👉 बिन माझी
👉 बिन लवाद
👉 बिन इरम
👉 बिन किदर
👉 बिन इस्माइल
👉 बिन इब्राहिम
👉 बिन आझर
👉 बिन नाहुर
👉 बिन सरुज
👉 बिन राउ
👉 बिन फाइज
👉 बिन आबीर
👉 बिन अरफकशाद
👉 बिन साम
👉 बिन नूह
👉 बिन लामिक
👉 बिन मतुसाली
👉 बिन इदरीस
👉 बिन मलहालील
👉 बिन किनाना
👉 बिन आनोष
👉 बिन शीस
👉 बिन आदम अलैहि सलाम

:;;;;मैं बात कर रहा हूँ इस्लाम के आख़िरी नबी हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहु°अलयही°वसल्लम°) की..ं
;:::आप(सल्लल्लाहु°अलयही°वसल्लम°)ने औरतों के हक़ में उस वक़्त आवाज़ उठाई जिस दौर में बेटियों को जिंदा दफना दिया जाता था और विधवाओं को जीने तक का अधिकार न था...
;:::::हाँ ये वही मुहम्मद(सल्लल्लाहु°अलयही°वसल्लम°) हैं जिन्होंने एक गरीब नीग्रो बिलाल (रजि अल्लाहू ) को अपने गले से लगाया, अपने कंधों पर बैठाया, और इस्लाम का पहला आलिम मुक़र्रर किया....
;::;वही मुहम्मद (सल्लल्लाहु°अलयही°वसल्लम°) जिन्होंने कहा की मज़दूर का मेहनताना उसका पसीना सूखने से पहले अदा करो, मज़दूर पर उसकी ताक़त से ज़्यादा बोझ न डालो, यहाँ तक की काम में मज़दूर का हाथ बटाओ....
;:;;वही मुहम्मद (सल्लल्लाहु°अलयही°वसल्लम°) जिन्होंने कहा की वो इंसान मुसलमान नहीं हो सकता जिसका पड़ोसी भूखा सोये, चाहे वो किसी भी मज़हब का हो...
;::;वही मुहम्मद (सल्लल्लाहु°अलयही°वसल्लम°) जिन्होंने कहा की अगर किसी ग़ैर मुस्लिम पर किसी ने ज़ुल्म किया तो अल्लाह की अदालत में वो खुद उस ग़ैर मुस्लिम की वक़ालत करेंगे....
;::;;वही मुहम्मद (सल्लल्लाहु°अलयही°वसल्लम°) जिन्होंने अपने ऊपर कूड़ा फेंकने वाली बुज़ुर्ग औरत का जवाब हमेशा मुस्कुरा कर दिया और उसके बीमार हो जाने पर ख़ुद खैरियत पूछने जाते हैं....हाँ
;:;वही मुहम्मद (सल्लल्लाहु°अलयही°वसल्लम°) जिन्होंने कहा की दूसरे मज़हब का मज़ाक न बनाओ...
;::;वही मुहम्मद (सल्लल्लाहु°अलयही°वसल्लम°) जिन्होंने जंग के भी आदाब तय किये की सिर्फ अपने बचाव में ही हथियार उठाओ...बच्चे, बूढों और औरतों पर हमला न करो बल्कि पहले उन्हें किसी महफूज़ जगह पहुँचा दो...यहाँ तक की पेड़ पौधों को भी नुकसान ना पहुचाने की हिदायत दी...

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