इम्फाल: मणिपुर के चंदेल जिले में गुरुवार को उग्रवादियों के
हमले में सेना के 20 जवानों के शहीद होने की खबर है। 12 जवान घायल हुए हैं।
इनमें तीन की हालत गंभीर बताई जा रही है। दो उग्रवादी संगठनों-उल्फा (आई)
और एनएससीएन (के) ने इस हमले की साझा जिम्मेदारी ली है। हमला असम राइफल्स
की टुकड़ी द्वारा कथित तौर पर एक महिला की हत्या के विरोध में बुधवार को
चंदेल में बुलाए गए बंद के एक दिन बाद हुआ है। केंद्र सरकार ने इस मामले की
जांच का जिम्मा एनआईए को सौंपा है। इस बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने
इस बारे में ट्वीट किया, 'मणिपुर में आज हुआ हमला बहुत दुखद है। देश के लिए
अपना जीवन न्योछावर करने वाले हर एक सैनिक के आगे मैं सिर झुकाता हूं।'
दिल्ली में बैठक
हमले के बाद केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने दिल्ली में बैठक की।
इस मीटिंग में राजनाथ के अलावा रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर, राष्ट्रीय
सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल, सेना प्रमुख दलबीर सिंह सुहाग शामिल हुए।
कौन हैं हमले की जिम्मेदारी लेने वाले दोनों संगठन?
1. नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड (खपलांग) : यह संगठन पूर्वोत्तर के बाकी उग्रवादी गुटों के साथ मिलकर पहले भी हिंसा कर चुका है। यह नगा समुदाय की ज्यादा आबादी वाले पूर्वोत्तरी राज्यों को मिलाकर ग्रेटर नगालैंड बनाना चाहता है। इस संगठन के साथ करीब 2000 उग्रवादी जुड़े हैं। मणिपुर के चंदेल सहित पहाड़ी इलाकों में भी इस संगठन की पैठ है। इसकी केंद्र सरकार के साथ शांति वार्ता विफल हो चुकी है। अप्रैल में ही इस संगठन ने केंद्रीय सुरक्षा बलों के साथ संघर्ष विराम खत्म करने का फैसला किया था। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू ने गुरुवार को ही इस बारे में कहा कि संघर्ष विराम अचानक खत्म करने के इस संगठन के फैसले से हमें अाश्चर्य हुआ। संगठन की गतिविधियां चिंताजनक है क्योंकि यह फिर हिंसक गतिविधियों और अवैध वसूली में लिप्त हो रहा है।
2. उल्फा (आई) : यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम का यह धड़ा सरकार से बातचीत करने का विरोधी है। इसके म्यामांर, गारो हिल्स ऑफ मेघालय, अरुणाचल प्रदेश और नगालैंड में कैम्प बताए जाते हैं। बताया जाता है कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई भी इस संगठन की मदद करती है। उल्फा के बातचीत समर्थक धड़े की सरकार के साथ वार्ता हाल ही में अंतिम चरण में पहुंच चुकी थी। इसके बाद से विरोधी धड़ा और सक्रिय हो गया।
1. नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड (खपलांग) : यह संगठन पूर्वोत्तर के बाकी उग्रवादी गुटों के साथ मिलकर पहले भी हिंसा कर चुका है। यह नगा समुदाय की ज्यादा आबादी वाले पूर्वोत्तरी राज्यों को मिलाकर ग्रेटर नगालैंड बनाना चाहता है। इस संगठन के साथ करीब 2000 उग्रवादी जुड़े हैं। मणिपुर के चंदेल सहित पहाड़ी इलाकों में भी इस संगठन की पैठ है। इसकी केंद्र सरकार के साथ शांति वार्ता विफल हो चुकी है। अप्रैल में ही इस संगठन ने केंद्रीय सुरक्षा बलों के साथ संघर्ष विराम खत्म करने का फैसला किया था। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू ने गुरुवार को ही इस बारे में कहा कि संघर्ष विराम अचानक खत्म करने के इस संगठन के फैसले से हमें अाश्चर्य हुआ। संगठन की गतिविधियां चिंताजनक है क्योंकि यह फिर हिंसक गतिविधियों और अवैध वसूली में लिप्त हो रहा है।
2. उल्फा (आई) : यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम का यह धड़ा सरकार से बातचीत करने का विरोधी है। इसके म्यामांर, गारो हिल्स ऑफ मेघालय, अरुणाचल प्रदेश और नगालैंड में कैम्प बताए जाते हैं। बताया जाता है कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई भी इस संगठन की मदद करती है। उल्फा के बातचीत समर्थक धड़े की सरकार के साथ वार्ता हाल ही में अंतिम चरण में पहुंच चुकी थी। इसके बाद से विरोधी धड़ा और सक्रिय हो गया।
कैसे हुआ हमला?
उग्रवादियों ने सुबह साढ़े आठ बजे के करीब IGAR दक्षिण इम्फाल के
26वें सेक्टर की 6 डोगरा रेजिमेंट के जवानों पर घात लगाकर हमला किया। सेना
के प्रवक्ता कर्नल रोहन आनंद ने दिल्ली में बताया कि 6 डोगरा रेजिमेंट की
टीम चार वाहनों में सवार होकर इंफाल से 80 किमी दूर तेंगनोपाल-न्यू समतल
रोड पर गश्त के लिए निकली थी। इसी दौरान पहले आईईडी से हमला किया गया।
इसके बाद सैनिकों के काफिले पर जबरदस्त फायरिंग की गई और रॉकेट प्रॉपेल्ड
ग्रेनेड (आरपीजी) यानी रॉकेट के जरिए हथगोले भी फेंके गए। पुलिस का कहना
है कि हमले में एक उग्रवादी भी मारा गया।
मारे गए जवानों में एक जेसीओ, सात अदर्स रैंक, एक सिग्नल कॉन्स्टेबल,
एक आर्मी सर्विस कोर ड्राइवर शामिल हैं। घायल जवानों को हेलिकॉप्टरों के
जरिए नगालैंड पहुंचाया गया। मौके पर अतिरिक्त सुरक्षाबल भेजा गया।
कैसे बच निकलते हैं उग्रवादी?
मणिपुर के चूड़ाचंद्रपुर, चंदेल और उखरूल जिले से म्यामांर की 398
किलोमीटर लंबी सीमा सटी है। पहाड़ी इलाका होने के कारण कई बार उग्रवादी
हमलों को अंजाम देकर सीमा के दूसरी ओर चले जाते हैं। 2014 में म्यामांर में
2000 उग्रवादियों ने शरण ले रखी थी। इन उग्रवादियों को अधिकतर हथियार चीन
के अवैध कारोबारियों से मिलते हैं।
मणिपुर के ऑटोनॉमस जिलों में हाल ही में हुए हैं चुनाव, 10 जून को आने हैं नतीजे
मणिपुर के सेनापति, चंदेल, तमेंगलोंग, सरदार हिल्स, चूड़ाचंद्रपुर और
उखरूल स्वायत्त जिलों में सोमवार को ही चुनाव हुए थे। ये सारे जिले ऑटोनॉमस
श्रेणी में आते हैं। वोटिंग के दौरान गड़बड़ी की भारी शिकायतें राज्य
सरकार को मिली थीं। नतीजे 10 जून को आने वाले हैं।
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