हटा(भोपाल). मध्यप्रदेश के दमोह जिले के अचलपुरा गांव में एक
गुट के कहर से दलित परिवारों ने गांव छोड़ दिया। गांव पहुंचे अफसर और उनका
अमला पीड़ितों को सुरक्षा का भरोसा दिलाने में नाकाम रहे। 24 घंटे से ज्यादा
समय से मौत के साए में रहे करीब 12 परिवार शुक्रवार को अफसरों के सामने ही
गांव छोड़कर चले गए और यह बता दिया कि दमोह के इस गांव में कानून का राज
खत्म हो गया है।
अचलपुरा में एक गुट ने बुधवार की रात दलित परिवारों पर कहर बरपाना
शुरू किया। गुरुवार की रात तक एक-एक दलित को जैसा चाहा, जब चाहा बेरहमी से
पीटा। घरों में तोड़फोड़ की। सामान फेंक दिया। ट्रैक्टर में बैठी फूलन
अहिरवार, रत्तू, प्रेमा, गोरेलाल, भैयालाल आदि के चेहरे पर दहशत कम होने का
नाम नहीं ले रही थी। इन लोगों ने बताया कि गांव के करन सिंह, संतोष सिंह,
वीरन सिंह, पप्पू सिंह आदि ने हम लोगों को घर से बाहर निकाल कर मारपीट की।
जिन घरों में ताला लगा था उन घरों के भी ताले तोड़कर सामान फेंका। कुछ घरों
के तो छप्पर भी तोड़कर सामान फेंका गया। सभी इतनी दहशत में थे कि गांव को
कोई व्यक्ति रिपोर्ट करने की हिम्मत भी नहीं जुटा पाया।
गांव छोड़कर बिनती गांव में डेरा डाले गांव के कोमल अहिरवार ने सीएम आॅनलाइन पर मोबाइल से गांव के हालत की जानकारी दी तब कहीं जाकर प्रशासन सक्रिय हुआ। तीसरे दिन हटा एसडीएम एसके अहिरवार, एसडीओपी आरके सिंह, एजेके एसडीओपी एचपी सिंघई, तहसीलदार एलके खरे भारी पुलिस बल के साथ गांव पहुंचे।
हमें किसी पर भरोसा नहीं
एक ओर सारा प्रशासन जहां गांव के लोगों को बैठाकर समझाइश दे रहा था, वहीं गांव के लोग अपना गृहस्थी का सामान ट्रैक्टर पर रखकर गांव को छोड़कर जा रहे थे। गांव की दसोदा, फूलन, धन्नू, कोमल, गट्टी अहिरवार ने बताया कि तीन हत्याएं हो चुकी हैं।ऐसे में अब हम कोई भी गांव में रहने तैयार नहीं है। न ही हमारा किसी पर भरोसा कि वह हमारी सुरक्षा कर पाएगा और न्याय दिला पाएगा।
एक ओर सारा प्रशासन जहां गांव के लोगों को बैठाकर समझाइश दे रहा था, वहीं गांव के लोग अपना गृहस्थी का सामान ट्रैक्टर पर रखकर गांव को छोड़कर जा रहे थे। गांव की दसोदा, फूलन, धन्नू, कोमल, गट्टी अहिरवार ने बताया कि तीन हत्याएं हो चुकी हैं।ऐसे में अब हम कोई भी गांव में रहने तैयार नहीं है। न ही हमारा किसी पर भरोसा कि वह हमारी सुरक्षा कर पाएगा और न्याय दिला पाएगा।
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