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19 मई 2015

ऐसे हुई राजीव गांधी की हत्या, लिट्टे प्रमुख प्रभाकरन ने इस तरह लिया बदला

राजीव गांधी
राजीव गांधी
दिल्ली। 21 मई 1991 को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की श्रीपेरम्बदूर में मानव बम धमाके में हत्या कर दी गई।।
तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1984 हुए आम चुनाव में कांग्रेस को देश के इतिहास में सबसे बड़ी जीत मिली और 1989 में सबसे बड़ी हार। इसी हार ने राजीव गांधी को नए सिरे से कांग्रेस पार्टी को फिर से खड़ा करने के लिए आत्ममंथन के दौर से गुजरना पड़ा। अपनी ही पार्टी में आलोचना का शिकार हो रहे राजीव ने नई रणनीति बनाई। वह ज्यादा से ज्यादा आमजनता तक पहुंचना चाहते थे। 1991 के आमचुनाव में आमजनता तक ज्यादा से ज्यादा पहुंच बनाने की रणनीति के तहत उस पर वह चल रहे थे। इस दौरान अपनी सुरक्षा व्यवस्था की अनदेखी ही उनका काल बन गई। तमाम चेतावनियों के बाद भी उन्होंने अपनी सुरक्षा व्यवस्था को कमजोर रहने दिया।
श्रीलंका से शांति सेना भेजने से पहले दिल्ली में लिट्टे प्रमुख प्रभाकरन राजीव गांधी से मिलने आया था। और यहां जो हुआ उसके बाद राजीव की हत्या की पटकथा तत्कालीन लिट्टे प्रमुख प्रभाकरन ने लिख दी थी। उसे इंतजार था तो मौके का। प्रभाकरन राजीव गांधी के प्रधानमंत्री रहने के दौरान जब दिल्ली आया। राजीव उससे सख्ती से पेश आए। प्रभाकरन ने तमिल हित की खातिर राजीव की बात मानने से इनकार कर दिया। था तो राजीव गांधी ने उसे अपनी शर्तें मानने तक पांच सितारा होटल में नजर बंद करा दिया था। राजीव ने उसे तभी श्रीलंका जाने की इजाजत दी जब उसने शर्तें मान लेने का आश्वासन दिया। कहा जाता है कि शर्तें मानने के लिए प्रभाकरन का हामी भरना अपने को मुक्त करा श्रीलंका पहुंचने की एक चाल भर थी। इस घटना के बाद वह राजीव गांधी का पक्का दुश्मन बन गया था।
जाफना में हुई बैठक
नवंबर 1990 में श्रीलंका के जाफना के घने जंगल में लिट्टे के एक अति गोपनीय ठिकाने पर प्रभाकरन, बेबी सुब्रह्मण्यम, मुथुराजा, मुरूगन और शिवरासन के बीच मंत्रणा हो रही थी। मुद्दा था राजीव गांधी को किस तरह मारना है। कई तरह के प्लान पर चर्चा हुई। फिर एक प्लान पर प्रभाकरन ने अपनी मोहर लगा दी। इसी के साथ कौन क्या करेगा इस पर चर्चा हुई। इसके बाद बेबी और मुथुराजा 1991 की शुरूआत में चेन्नई आ गए।
इस तरह फंसाया जाल में
बेबी और मुथुराजा चेन्नई में शुभा न्यूज फोटो एजेंसी के मालिक शुभा सुब्रह्मण्यम से मिले। उसके पास प्रभाकरन का संदेश पहले ही आ चुका था कि इनकी मदद करनी है। योजना के मुताबिक बेबी ने न्यूज एजेंसी में काम करने वाले भाग्यनाथन को अपने जाल में फंसाया। राजीव हत्याकांड में सजा भुगत रही नलिनी इसी भाग्यनाथन की बहन है। वह 1991 में एक प्रिंटिंग प्रेस में काम करती थी।
फोटोग्राफर को भड़काया राजीव के खिलाफ
रविशंकरन और हरिबाबू दोनो शुभा न्यूज फोटोकॉपी एजेंसी में फोटोग्राफर का काम करते थे। हरिबाबू को नौकरी से निकाल दिया गया। मुथुराजा ने हरिबाबू को विज्ञानेश्वर एजेंसी में नौकरी दिलाई। हरिबाबू को काफी पैसा मिलने लगा और उसका झुकाव मुथुराजा से हो गया। उसने राजीव गांधी के खिलाफ खूब भड़काया कि अगर वो 1991 के लोकसभा चुनाव में जीत कर सत्ता में आए तो तमिलों की और दुर्गति होगी। श्रीलंका में बैठे मुरूगन ने इस बीच जय कुमारन और रॉबर्ट पायस को चेन्नई भेजा। यहां जयकुमारन का जीजा लिट्टे बम एक्सपर्ट अरीवेयू पेरूलीबालन 1990 से छिप कर रह रहा था। पोरूर का यही घर राजीव गांधी हत्याकांड के प्लान का हेडक्वार्टर बना।
प्रभाकरन से कहा नहीं मिल रहा मानवबम
शिवरासन के पोरूर पहुंचते ही जाफना के जंगलों की साजिश का जाल पूरा हो गया। शिवरासन ने कमान अपने हाथ में ले ली। बेबी औऱ मुथुराज श्रीलंका वापस चले गए। चेन्नई में नलिनी, मुरूगन और भाग्यनाथन के साथ शिवरासन ने मानवबम खोजा पर वो नहीं मिला। शिवरासन ने अरीवेयू पेरुली बालन के बम की डिजाइन को चेक किया। मानवबम के इतंजाम में शिवरासन फिर समुद्र के रास्ते जाफना वापस गया और वहां प्रभाकरण से मिला। प्रभाकरन से उसने कहा कि भारत में मानवबम नहीं मिल रहा है। प्रभाकरन ने शिवरासन की चचेरी बहनों धनू और शुभा को उसके साथ भारत के लिए रवाना कर दिया। धनू और शुभा को लेकर शिवरासन अप्रैल में चेन्नई आ गया। शिवरासन ने पायस- जयकुमारन बम डिजाइनर अरिवू को इनसे अलग रखा और खुद पोरूर के ठिकाने में रहा। चेन्नई के तीन ठिकानों में राजीव गांधी हत्याकांड की साजिश चल रही थी। शिवरासन ने टारगेट का खुलासा किए बिना बम एक्सपर्ट अऱिवू से एक ऐसा बम बनाने को कहा जो महिला की कमर में बांधा जा सके।ऐसे हुई राजीव गांधी की हत्या, मालूम चला तो सन्न रह गया था पूरा देष
आरडीएक्स भरा, नाइन एमएम की बेटरी
शिवरासन के कहने पर अरिवू ने एक ऐसी बेल्ट डिजाइन की जिसमें छह आरडीएक्स भरे ग्रेनेड जमाए जा सके. हर ग्रेनेड में अस्सी ग्राम सीफोर आडीएक्स भरा गया। सारे ग्रेनेड को सिल्वर तार की मदद से जोड़ा गया। बम को चार्ज देने के लिए 9 एमएम की बैटरी लगाई गई. ग्रेनेड में जमा किए गए स्प्रिंटर कम से कम विस्फोटक में 5000 मीटर प्रतिसेकेंड की रफ्तार से बाहर निकलते यानी हर स्प्रिंटर एक गोली बन गया था। बम इस तरह से डिजाइन किया गया था कि आरडीएक्स चाहे जितना कम हो अगर धमाका हो तो टारगेट बच न सके और वही हुआ भी।

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