लव जेहाद ...लव जेहाद ...लव जेहाद चिल्लाते लोगो कभी अपनी सूरत देखी है ?
...वक्त के आईने में कम्वख्त अपनी सूरत तो देख, सब समझ में आ जाएगा . घरों
में कितनी घुटन है ,...शोषण है लड़कियों का ...बचपन से ही लड़कियों को समझा
दिया जाता है कि तुम पराये घर की हो ...घर पर घरेलू नौकर की तरह काम लिया
जाता है ...इस शोषण में भाई भी शामिल रहते हैं ...बहने भाईयों के कपडे धोती
हैं कितने भाई हैं जो बहनों के कपडे धोते हैं ? ...इस उपेक्षा ,अपमान
,तिरस्कार और दोयम दर्जे का नागरिक होने के अहसास से ऊबी
हुयी लडकी जब आज़ाद हवा में सांस लेने की कोशिश करती है तो प्यार के
सुनियोजित छल में फंस ही जाती है . घर के तिरस्कार और बाहर के प्यार में
उसे स्वाभाविक रूप से प्यार आकर्षित करता है और अंत में उसे प्यार की
मरीचिका छल लेती है ...वह ठगी सी खड़ी होती है . हम अपने घर में बेटे -बेटी
के बीच समानता का वातावरण क्यों नहीं बनाते ? हम घर में लड़कियों के लिए
कुंठित समाज क्यों तैयार करते हैं ? हम अपने ही समाज में उनको प्यार के
इज़हार के अवसर क्यों नहीं देते ? ...स्वयंवर यानी स्वयं अपने जीवनसाथी यानी
वर का वरण करना दैविक युग में था , त्रेता में था सीता के स्वयंवर का
प्रकरण भूल गए क्या ? ...कृष्ण के काल द्वापर में था ...मनुष्मृति में है ,
मिताक्षर में है , याज्ञवल्क स्मृति में है ...पर पोंगा पंडितों की
पाठशाला में नहीं है . परिणाम प्यार के अवसर न होने से घुटन है और लव जेहाद
भी इसी घुटन की घटना है . इधर चिड़िया घुटन से अपने घोंसले से उडती है उधर
बहेलिया प्यार का चुगा डाल कर जाल बिछाए बैठा है . हम अपनी बेटियों का
/बहनों का स्वाभिमान तो घर के अन्दर ही कुचल डालते हैं ...दलित कर देते हैं
. यही बात हिन्दुओं के लिए ही नहीं मुसलमानों के लिए भी है जहाँ औरतों का
शोषण सीमान्त है . और शोषण से ऊबी मुसलमान औरतें दुनिया के देह व्यापार में
बहुसंख्यक है . हर विश्व की सातवीं बाल वैश्य मुसलमान है ...चार -चार वाइफ
के वाबजूद तवाइफ़ भी चाहिए . हम अपने बेटे -बेटियों को अपने ही समाज में
प्यार के उचित और स्वस्थ अवसर क्यों नहीं देते ? ... हम दहेज़ के नाम पर देह
व्यापार करते हैं ....दहेज़ लेकर हुयी हर शादी विशुद्ध देह व्यापार है
जिसमें पुरुष वैश्या धन के बदले अपनी देह का सौदा करती है और जब हमारा समाज
ऐसी दहेजखोर पुरुष वेश्याओं से आक्रान्त हो तो उन पुरुष वैश्याओं में
पौरुष कहाँ होगा ...वह तो वैश्या हैं और वैश्या में भला पौरुष कहाँ ?
परिणाम स्वरुप पौरुष की तलाश में समाज की दहलीज लांघती लडकियाँ जिस घटना
/छल या मरीचिका का शिकार होती हैं उसे हम 'लव जेहाद' कहते हैं ....आपना
फ़जीहत दीगरान नसीहत ...हम अपने सामाज को स्वस्थ बनाएं . हिन्दू और
मुसलमानों ने मिल कर विश्व में वेश्याओं की फ़ौज खड़ी कर दी है ...दिखती नहीं
तुम्हें ?....देखो ! ...सच के आईने में अपनी सूरत देखो !! ...प्यार के
अभाव में घरों से भाग रहे हमारे बच्चे प्यार की मरीचिका से ग्रस्त हैं
...हम घरों में अपनी ही बेटियों /बहनों को इतना कुंठित क्यों कर रहे हैं कि
वह आपाधापी में भाग रही हैं और गलत निर्णय ले रही हैं ...मेरी प्यारी बेटी
/बहन ...मेरी प्यारी चिड़िया उड़ने के पहले सावधान बाहर बहेलिया बैठा है."
-------- राजीव चतुर्वेदी
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