तुम रुठते रहो
में मनाता रहूंगा
तुम यूँ ही बेबात पर
नाराज़ होते रहो
में मनाता रहूंगा
तुम यूँ ही मेरे प्यार को
ठुकराते रहो
में तुम्हारे प्यार का
इन्तिज़ार करता रहूंगा
तुम अपनी करनी करो
में अपनी करनी करूंगा
देख लेना एक दिन
तुम खुद आकर
मुझ से लिपट जाओगे
आँखों में आंसू
सीने में गर्म साँसे भरकर
खुद दिल से कहोगे
तुमसा कोई नहीं
तुमसा कोई नहीं ,,,,,,,,अख्तर
में मनाता रहूंगा
तुम यूँ ही बेबात पर
नाराज़ होते रहो
में मनाता रहूंगा
तुम यूँ ही मेरे प्यार को
ठुकराते रहो
में तुम्हारे प्यार का
इन्तिज़ार करता रहूंगा
तुम अपनी करनी करो
में अपनी करनी करूंगा
देख लेना एक दिन
तुम खुद आकर
मुझ से लिपट जाओगे
आँखों में आंसू
सीने में गर्म साँसे भरकर
खुद दिल से कहोगे
तुमसा कोई नहीं
तुमसा कोई नहीं ,,,,,,,,अख्तर
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