क्या कभी
तुम्हे हम भी
याद आते है
क्या तुम्हे कभी
हमारी उम्मीद
की परवाह होती है
क्या तुम्हे कभी
हमारे इन्तिज़ार पर
बेक़रारी होती है ,,
क्या तुम्हे
हमारे अंदाज़
याद आते है
या फिर यूँ ही
हम तुमसे
सिर्फ और सिर्फ
एक तरफा
प्यार किये
जा रहे है
कुछ भी हो
लेकिन फिर भी
कड़वा सच है
हम तुम्हारी उम्मीद
तुम्हारे इन्तिज़ार
में जिए जा रहे है ,,,,,,,,,अख्तर
तुम्हे हम भी
याद आते है
क्या तुम्हे कभी
हमारी उम्मीद
की परवाह होती है
क्या तुम्हे कभी
हमारे इन्तिज़ार पर
बेक़रारी होती है ,,
क्या तुम्हे
हमारे अंदाज़
याद आते है
या फिर यूँ ही
हम तुमसे
सिर्फ और सिर्फ
एक तरफा
प्यार किये
जा रहे है
कुछ भी हो
लेकिन फिर भी
कड़वा सच है
हम तुम्हारी उम्मीद
तुम्हारे इन्तिज़ार
में जिए जा रहे है ,,,,,,,,,अख्तर
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