हनुमानजी की सफलता के लिए सुंदरकाण्ड को याद किया जाता है।
श्रीरामचरित मानस के इस पांचवें अध्याय को लेकर लोग अक्सर चर्चा करते हैं
कि इस अध्याय का नाम सुंदरकाण्ड ही क्यों रखा गया है? यहा जानिए इस प्रश्न
का उत्तर...
श्रीरामचरित मानस में हैं 7 काण्ड
श्रीरामचरित मानस में 7 काण्ड (अध्याय) हैं। सुंदरकाण्ड के अतिरिक्त
सभी अध्यायों के नाम स्थान या स्थितियों के आधार पर रखे गए हैं। बाललीला का
बालकाण्ड, अयोध्या की घटनाओं का अयोध्या काण्ड, जंगल के जीवन का अरण्य
काण्ड, किष्किंधा राज्य के कारण किष्किंधा काण्ड, लंका के युद्ध का लंका
काण्ड और जीवन से जुड़े प्रश्नों के उत्तर उत्तरकाण्ड में दिए गए हैं।
सुंदरकाण्ड का नाम सुंदरकाण्ड क्यों रखा गया?
हनुमानजी, सीताजी की खोज में लंका गए थे और लंका त्रिकुटाचल पर्वत पर
बसी हुई थी। त्रिकुटाचल पर्वत यानी यहां 3 पर्वत थे। पहला सुबैल पर्वत,
जहां के मैदान में युद्ध हुआ था। दूसरा नील पर्वत, जहां राक्षसों के महल
बसे हुए थे और तीसरे पर्वत का नाम है सुंदर पर्वत, जहां अशोक वाटिका
निर्मित थी। इसी अशोक वाटिका में हनुमानजी और सीताजी की भेंट हुई थी। इस
काण्ड की यही सबसे प्रमुख घटना थी, इसलिए इसका नाम सुंदरकाण्ड रखा गया है।
पहले
सुंदरकांड का पाठ करने का विशेष महत्व माना गया है। जब भी किसी व्यक्ति के
जीवन में ज्यादा परेशानियां हों, कोई काम नहीं बन रहा हो, आत्मविश्वास की
कमी हो या कोई और समस्या हो, सुंदरकांड के पाठ से शुभ फल प्राप्त होने लग
जाते हैं। कई ज्योतिषी और संत भी विपरीत परिस्थितियों में सुंदरकांड का पाठ
करने की सलाह देते हैं। यहां जानिए सुंदरकांड का पाठ विशेष रूप से क्यों
किया जाता है?
सुंदरकाण्ड के पाठ से प्रसन्न होते हैं हनुमानजी
माना जाता है कि सुंदरकाण्ड के पाठ से बजरंग बली की कृपा बहुत ही जल्द
प्राप्त हो जाती है। जो लोग नियमित रूप से इसका पाठ करते हैं, उनके सभी
दुख दूर हो जाते हैं। इस काण्ड में हनुमानजी ने अपनी बुद्धि और बल से सीता
की खोज की है। इसी वजह से सुंदरकाण्ड को हनुमानजी की सफलता के लिए याद किया
जाता है।
Bahut achchhi prastuti....
जवाब देंहटाएं