आपका-अख्तर खान

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13 अप्रैल 2015

इतने खुश हो तुम

आज़ाद होकर
इतने खुश हो तुम
मुझे यक़ीनन पता ना था
सच कहूँ
पहले इशारा क्या होता
में तो तुमसे
कब का अलग हो गया होता
तुम्हारी ख़ुशी
तुम्हारी हंसी
तुम्हारा सुकून
यही तो सिर्फ एक मक़सद है मेरा
शुक्र है खुदा का
मेरा मक़सद पूरा हुआ
अब बस कोई ख्वाहिश नहीं
अकेले ही क़ब्र में
गहरी नींद सो जाने को जी चाहता है
तुम्हारी ख़ुशी की
चाहत पूरी हुई
अब तो यह चाहत भी
जल्द ही पूरी हुई जाती है ,,,,,,,,,,,,,,,

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