आपका-अख्तर खान

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13 अप्रैल 2015

ठुकरा तो दिया तुमने ,

मुझे मेरे चेहरे को देखकर
ठुकरा तो दिया तुमने ,,
लेकिन ,,मेरी कोशिश है फिर भी
मेरी आवाज़ ,,मेरे अलफ़ाज़ ,,मेरे अखलाक़
मेरी पहचान बने ,,
चेहरे का क्या है
यह तो एक दो दिन में
मेरे साथ ही मिटटी में मिल जाएगा ,,
लेकिन मुझे यक़ीन है
मेरे अखलाक़ ,,मेरे अलफ़ाज़ ,,मेरा अहसास
तुम्हे भी कई रातों तक सोने ना देगा ,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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