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09 अप्रैल 2015

टोंक में कुछ मशहूर बाग

टोंक रियासत काल के (आज़ादी से पहले ) के टोंक में कुछ मशहूर बाग हुआ करते थे क्या वो आज भी है
१. फिरोज बाग:- जो खलिया कलब है आज, सादात अस्पताल का तमाम इलाका इसी पार्क में आता था और यही सादात अस्पताल बना
२. चुन्नी लाल का बाग:- सर्किट हाउस के पीछे वाला इलाका इस में आता था
३.पोत बाग: अग्रेजो दवारा बांया गया था उस का कुछ भाग आज काल फूल बाग़ के नाम से जाना जाता है
४ केवड़ो का बाग़ :-यह बाग़ अस्तल के इलाके में था अंधेरी बाग़ या हाथी गुम बाग़ के नाम से जाना जाता था यह साहिबजादे अब्दुल करीम खान का था बाद में साहिबजादे तौफीक खान ने ऐसे लेलिया था
6. ककराज का बाग़ :- यह बाग़ ककराज घाट पर स्थित था आज भी वहाँ की अमरुद सबसे बेहतर मानी जाती है यह ओसामा खान या हयात खान का बाग़ था
७.झिपोलाई का बाग़ :-यह बाग़ आज काल झिपोलाई एलके के नाम से मशहूर है यह बाग़ नवाब इब्राहिम खान के सबसे बड़े बेटे वलिहाद साहब का था और मेथे फलफूलो के लिय मशहूर था
८. नैनसुख की बगिया :- फल फूलो के लिय मशहूर था मामू भांजे की दरगाह के सामने से रास्ता था और वही सामने इस्थित था
९ धुँआ का बाग़ :-यह नवाब इब्राहिम खान दौरा बनाया गया बगाह था नवाब इब्राहिम अली खान का बाग़ था जो एनर्जी अमरुद और फलफूलो के लिय मशहूर था
१०. कच्चे बंधे का बाग़ :-फॉलो के लिय मशुर यह नवाब इब्राहिम खान दौरा बनाया गया बगाह था
११. नज़र बाग़ :- यह नवाब इब्राहिम खान दौरा बनाया गया बगाह था यह अपनी सुंदरता और इमारतों के लिय आम , अमरुद , पपीते शहतूत आदि के पेड़ थे सुनहरी कोठी , मछली भवन , और शाही प्लेस इस की सुंदरता में चार चाँद लगा ते थे
१२ खला साहब का बाग़ :-यह भुतिया घाट का इलाका ऐसी में आता था फलफूलो के लिय मशहूर था यह नवाब साहब की खाला(माँ की बहिन ) का बाग़ था
13 मोती बाग़ :-यह मोती बेगम का बाग़ था जो पानी से घिरा था उनके मरने के बाद यह शाही कब्रितान बन्दिया गया जो आज काल मोती बाग़ कब्रिस्तान के नाम से जाना जाता है आम , अमरुद ,शहतूत , लाल इमली , और बैर के लिय मशहूर था
१४. खेड़े का बाग़ :- आजकल खेड़ेके नाम से जाना जाता है
१५ महुवा बाग़ :- आज काल महुवा के नाम से प्रसिद्ध है
१६ बेगम बाग़ :- गेहलोत घाट एस्थि बाग़ है आज भी बेगम बाग़ के नाम से मशहूर है

आजादी के बाद टोंक के बाग़ :
(1) किदवई पार्क :- यह सं २००० तक बाग़ रहा था अब भी टोंक नगर परिषद ऐसी बाग़ ही मानती है और लोग इसे बाग़ के नाम पर धब्बा भी नही मानते इसकी हालत बिकुल टोंक वासियो जैसी ही है यह सवाई माधो पर चौराहे पर इस्थित है
(२) आजाद पार्क :- शायद था है या नही कुछ नी पता इसके दयवाजे पर छोटी सब्जी मंडी जरूर है
(3) गांधी पार्क :- घंटा घर पर इस्थित बाग़ गांधी जी की याद दिलाता है इसकी हालत भी काफी नाज़ुक है यहा लगे पेड़ो की सख्या गंजे के सर पर बालो के सामान है यह तीनो पार्क ही पार्को के नाम पर धब्बा है इन पार्को का कुल इलाका चार पांच बीघा भी नही है जो बताते है की टोंक में की तरह की लीडर शिप है और किस तरह के लोग रहते है

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