नई दिल्ली: जनता परिवार
के विलय का एलान हो गया है। जनता दल से टूटकर अलग हुईं पार्टियों सपा,
आरजेडी, जेडीयू, आईएनएलडी, जेडीएस, एसजेपी के बीच हुई बातचीत के बाद प्रेस
कॉन्फ्रेंस करके बुधवार को इसकी जानकारी दी गई। जेडीयू अध्यक्ष शरद यादव ने
बताया कि नए दल के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव होंगे। वे ही पार्लियामेंट्री कमेटी के अध्यक्ष होंगे। मीटिंग मुलायम सिंह यादव के दिल्ली स्थित आवास पर हुई।
शाहनवाज बोले- बीजेपी को रोकने के लिए हुआ है विलय
विलय के बावजूद सब कुछ ठीक चलेगा, इसकी गारंटी नहीं लग रही। इसका एक
संकेत तो यही लगता है कि बुधवार की बैठक में नई पार्टी का नाम, झंडा तय
नहीं हो सका। छह लोगों की एक समिति बनाई गई, जो संगठन के नीतियों और अन्य
मुद्दों पर फैसला करेगी। यह कमेटी विलय करने वाले अध्यक्षों की होगी। वहीं,
बीजेपी ने इस मर्जर पर निशाना साधा। बीजेपी प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने कहा
कि पार्टी के सिंबल या नाम पर चर्चा न होना इस बात का सबूत है कि इन
पार्टियों के बीच काफी खाई है। हुसैन के मुताबिक, ये पार्टियां कितने भी
नाम बदलकर सामने आ जाएं, लेकिन बीजेपी इनसे लड़ने को तैयार है।
नीतीश बोले-मजबूत विकल्प देंगे
मुलायम ने इसे ऐतिहासिक निर्णय बताया। मुलायम ने कहा, ''नई सरकार को
बहुमत मिलने के बावजूद उसने कुछ नहीं किया। यह पहली सरकार है, जिसने
विपक्षी दलों की कभी राय नहीं ली। पूर्व की कोई भी सरकार लोकतांत्रिक ढंग
से काम करती थी और हमसे बातचीत करती थी। केंद्र सरकार ने कोई वादा पूरा
नहीं किया। गरीब और हाशिए पर जी रहे लोग हताश हो चुके हैं। सरकार करे न
करे, लेकिन हम सब की समस्याओं का निराकरण करेंगे। '' वहीं, जेडीयू नेता और
बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने कहा, ''पिछले कुछ महीने से छह दलों के बीच
में एकजुटता के लिए विचारमंथन चल रहा था। शुरुआत से ही सभी की इच्छा थी कि
सब एकजुट हों। यह दल एक मजबूत विकल्प के तौर पर उभरेगा और देश की राजनीति
को दिशा देगा।'' इंडियन नेशनल लोकदल के अभय चौटाला ने कहा कि देश को काफी
वक्त से इस मर्जर की जरूरत थी। वहीं, लालू ने दावा किया कि नई पार्टी
बीजेपी का हवा निकाल देगी।
सपा नेताओं में असंतोष
मुलायम सिंह ने जनता परिवार में सपा के विलय होने से अंदरूनी नाराजगी
की खबरों को खारिज किया। सपा के आधिकारिक सूत्रों की मानें तो यूपी के
मुख्यमंत्री व मुलायम के बेटे अखिलेश और उनके सांसद भाई जनता परिवार से सपा
को अलग रखना चाहते थे। हालांकि, मुलायम ने उनकी राय को खारिज कर दिया।
उधर, सपा के कुछ नेताओं को लगता है कि आरजेडी और जेडीयू से हाथ मिलाने से
उत्तर प्रदेश में सपा को कोई फायदा नहीं होगा। इस साल के आखिर में बिहार
में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में बीजेपी को रोकने की बात भी सपा के कुछ
नेताओं को नहीं भा रही है। सपा के नेता दबी जुबान से कह रहे हैं कि अब
उन्हें बिहार की राजनीति के मजबूत क्षत्रपों- लालू यादव और नीतीश कुमार-
के हिसाब से फैसले लेने होंगे। सपा के कई नेता इस बात को लेकर भी फिक्रमंद
हैं कि अगर आगे चलकर बनने जा रही यह नई पार्टी टूटी तो उन्हें अपनी पहचान
वापस पाने में मुश्किल आ सकती है। विलय के विरोधी सपा के नेताओं का कहना है
कि दो दशक से ज्यादा लंबे संघर्ष के बाद उनकी पार्टी ने अपनी पहचान बनाई
है। अक्टूबर, 1992 में सपा वजूद में आई थी।
विलय क्यों
दिसंबर 2013 से भाजपा का हर चुनाव में अच्छा प्रदर्शन रहा। उसने मध्य
प्रदेश और छत्तीसगढ़ में सत्ता कायम रखी। लोकसभा चुनाव जीता। फिर
महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड और जम्मू-कश्मीर
में सरकार बनाई। सिर्फ दिल्ली का चुनाव वह हार गई। लालू-नीतीश-मुलायम को
विलय की जरूरत इसलिए महसूस हुई, क्योंकि बिहार में इसी साल और यूपी में
2017 में चुनाव हैं। ये दल मिलकर मोदी लहर को वहां बेअसर करना चाहते हैं।
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