आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

23 अप्रैल 2015

समेट लाई हूँ

कतरा - कतरा लम्हे
समेट लाई हूँ ...
तेरे हिस्से का दर्द भी
मैं , सह आई हूँ ...
आ करीब मिल - बांटकर
जी लें जिंदगी ...
बची सांसों का
हिसाब भी कर आई हूँ

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...