आज मन उदास उदास सा है ,,,एक तरफ धरतीपुत्र अन्नदाता किसानो की फसल चोपट
है तो दूसरी तरफ किसान आत्महत्या कर रहे है ,हाल ही में राजस्थान के दौसा
का किसान और आत्महत्या दिल्ली की आमसभा के पास स्थित एक एक पढ़ पर लटक कर
आत्महत्या ,,कुछ अजीब सा है ,,सवाल उठते है के आखिर दौसा राजस्थान के
किसान को दिल्ली में जाकर आत्महत्या करने की ज़रूरत क्यों पढ़ी ,,,बात साफ़ है
देश भर के किसानो के लिए सभी पार्टियां आन्दोलनरत है ,,भाजपा सत्ता पक्ष
में है इसलिए किसानो की हर दुर्गति की ज़िम्मेदारी भाजपा की
ही है ,,दिल्ली में कांग्रेस की रैली हुई ,,,आप पार्टी ने भी रैली की
,,कुल मिलाकर किसानो की समस्याओं का समाधान नहीं हुआ सिर्फ राजनीति हुई है
,,लेकिन दौसा राजस्थान का यह किसान ,,किसानो के लिए अपनी जान की आहुति देकर
एक संदेश अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देकर गया है ,,,गजेन्द्र का संदेश है के
सियासी पार्टियों को किसी के दर्द से कोई लेना देना नहीं उन्हें तो सिर्फ
वोटों की सियासत करना है ,,,सरकार को किसानो के दर्द से कोई लेना देना नहीं
,,जनता में किसी के लिए कोई संवेदना नहीं ,,,टी वी रिपोर्टर्स की
संवेदनाये मर चुकी है ,,एक आदमी सरे आम आत्महत्या कर रहा है ,,मानवता का
प्राथमिक फ़र्ज़ मरते हुए आदमी को बचाने का छोड़कर कैमरा मेन रिपोर्टर्स
मानवता छोड़कर एक किसान की मोत का लाइव दिखा रहे है ,,खबरे बना रहे है ,,खबर
में कोई संवेदना नहीं सिर्फ कॉमर्शियल सेटअप के लिए खबरें बनाई गई है
,,आखिर एक किसान जिसकी ज़मीन राजस्थान में है राजस्थान सरकार की उपेक्षा से
तंग आकर अपना विरोध दर्ज कराने दिल्ली जाता है ,,,सियासी पार्टियों से
उम्मीद लगाता है ,,केंद्र सरकार से उम्मीद लगाता है लेकिन सिर्फ और सिर्फ
किसानो के दर्द पर सियासत ही सियासत का तमाशा देखता है तो उसके पास मरने के
सिवा कोई दुसरा चारा नज़र नहीं आता ,,भरी सभी में कड़े सुरक्षा प्रबंधों के
बीच राजस्थान के किसान की यह क़ुरबानी बेकार नहीं जाना चाहिए किसानो के
दुःख दर्द को सिर्फ अपनी सियासत के इस्तेमाल करने वाले नेताओं को ,, सियासी
पार्टियों को ,,सरकारों को किसानों को एक जुट होकर संघर्ष करना होगा वरना
गजेन्द्र सिंह हर गली हर मोहल्ले में निराशा और हताशा के दौर में
आत्महत्याएं करेंगे ,,सियासी पार्टिया इसे एक दूसरी पार्टी को नीचा दिखाकर
वोट बटोरने का ज़रिया बनाएंगी ,,अखबार ,,रिपोर्टर ,,इलेक्ट्रॉनिक चैनल ऐसे
हादसों को मसालेदार बनाकर अपनी टी आर पी बढ़ाकर विज्ञापन बटोरने का ज़रिया
बनाएंगे और सरकारें आयोग बिठाने ,,जांच करवाने के नाम पर अपनी रोटिया सकेगी
,, इसलिए किसानो उठो एक हो जाओ ,,संघर्ष करो राजनीती का हिस्सा बनकर
इस्तेमाल मत होते रहो ,,उठो अंगड़ाई लो ,,,,,,सियासी गुटबाज़ी छोड़कर एक हो
जाओ ,,और फिर सरकार में बैठे लोगों का गला पकड़ कर उन्हें उनकी औक़ात याद
दिलाओ ताकि फिर कोई गजेन्द्र आत्महत्या ना करे ,,,,,किसान खुशहाल बने
,,,सरकार किसानो को उनका हक़ दे ,,क्या गजेन्द्र की क़ुरबानी से कोई सबक सीखा
जा सकेगा ,, या फिर किसान टिशू पेपर की तरह सियासी पार्टियों के लिए
इस्तेमाल का ही ज़रिया बना रहेगा के जब पसीना आया पोंछ लिया और फिर कचरे में
फेंक दिया ,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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