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15 अप्रैल 2015

'मुर्गी चोर' कहे जाते थे नारायण राणे, हारे तो शिवसेना ने ‘मुर्गी’ लेकर मनाया जश्न Bhaskar News Apr 16, 2015, 03:09 AM IST Print Decrease Font Increase Font Email Google Plus Twitter Facebook COMMENTS 1 of 3 Next नारायण राणे के चुनाव हारने के बाद शिवसैनिकों ने मुर्गियां लेकर प्रदर्शन किया नारायण राणे के चुनाव हारने के बाद शिवसैनिकों ने मुर्गियां लेकर प्रदर्शन किया मुंबई. बांद्रा-पूर्व सीट के उप-चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी और पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे को मात देने का जश्न शिवसैनिकों ने हाथ में ‘मुर्गी’ लेकर मनाया। इसके साथ ही ‘मुर्गी चोर चुनाव हारा...’ इस प्रकार के नारे भी लगाए। दरअसल पूर्व शिवसैनिक राणे का नाम ‘मुर्गी चोर’ पड़ने के पीछे कई तरह से किस्से बताए जाते हैं। ये है 'मुर्गी चोर' का किस्सा शिवसेना भवन से जुड़े एक पुराने शिवसैनिक ने बताया कि राणे को शिवसेना में लाने का काम पार्टी के वफादार व वरिष्ठ नेता लीलाधर डाके ने किया था। उन्होंने कहा कि राणे अपने दोस्त हनुमंत परब के साथ बचपन के दिनों में चेंबूर इलाके में गुंडागर्दी करते थे। बचपन की इसी नादान उम्र में उन्होंने दोस्तों के साथ मिलकर कई बार चेंबूर इलाके में मुर्गी चुराने का काम किया था। पकड़े जाने पर उन्हें डाके ने बचाया था। हालांकि राणे के खिलाफ अधिकृत रूप से पुलिस स्टेशन में मुर्गी चुराने का कोई भी मामला दर्ज नहीं है। परंतु इसी किस्से की वजह से उन्हें बाद में ‘मुर्गी चोर’ के नाम से चिढ़ाया जाने लगा। शिवसेना छोड़ने के बाद, तो बाल ठाकरे से लेकर रामदास कदम तक सभी शिवसेना नेता उनके नाम का उल्लेख न करते हुए ‘मुर्गी चोर’ कहकर ही संबोधित करते थे। 'मुर्गी चोर' कहे जाने का दूसरा किस्सा राणे का नाम ‘मुर्गी चोर’ पड़ने के पीछे एक और कहानी भी है। शिवसेना कार्यालय शिवालय से जुड़े एक दूसरे वरिष्ठ नेता ने बताया कि राणे अपने लड़कपन में मुर्गी चुराने के साथ-साथ लड़ाई-झगड़े में आगे रहते थे। युवा होने पर चेंबूर इलाके में बकायदा उनकी गैंग सक्रिय थी। इस गैंग पर मारपीट से लेकर हत्या करने और हत्या के प्रयास जैसे कई गंभीर मामले दर्ज थे। चूंकि राणे महाराष्ट्र के कोंकण विभाग से संबंधित हैं और कोंकण में छोटे-बड़ी आपराधिक वारदातों को अंजाम देने वाले गुंडों को ‘मुर्गी चोर’ कहा जाता है। लिहाजा राणे का नाम भी ‘मुर्गी चोर’ पड़ गया। कभी बाला साहब के खास थे राणे कभी शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे के खास रहे राणे ने शिवसेना से बगावत करके कांग्रेस का दामन थाम लिया। शिवसेना छोड़ने के बाद से ही शिवसैनिक राणे को ‘मुर्गी चोर’ कहकर उनका उपहास उड़ाते हैं। अक्टूबर में हुए विधानसभा चुनाव में नारायण राणे को अपने गढ़ कोंकण में हार का सामना करना पड़ा था। अब देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में भी उन्हें शिकस्त झेलनी पड़ी है। लगातार दूसरी बार हराकर शिवसेना ने उनकी सियासत पर पूर्णविराम लगाने का प्रयास किया है। पटाखे फोड़े शिवसैनिकों ने पिटाई किसी और की उप-चुनाव में पराजित हुए नारायण राणे को भड़काने, चिढ़ाने और उकसाने का शिवसैनिकों ने बुधवार को कोई मौका नहीं छोड़ा। बांद्रा-पूर्व सीट के उप-चुनाव में शिवसेना की जीत सुनिश्तित होते ही कुछ अतिउत्साही शिवसैनिक राणे के जुहू स्थित बंगले के बाहर पहुंच गए और पटाखे फोड़कर जश्न मनाया। इसकी जानकारी मिलते ही बड़ी संख्या में राणे समर्थक भी वहां पहुंच गए। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार इसी दौरान एक युवक करीब के एटीएम सेंटर से बाहर निकला। राणे समर्थकों को लगा कि यह युवक भी पटाखा फोड़ने वालों के साथ था लिहाजा उन्होंने उसकी पिटाई कर दी। परंतु पुलिस ने हस्तक्षेप करके पिट रहे युवक को बचा लिया। उधर जब एक बेकसूर युवक को अनजाने में पिटने की बात राणे समर्थकों को समझ में आई, तो उन्होंने भी गलती कबूलते हुए अफसोस जताया और वहां से चले गए।

नारायण राणे के चुनाव हारने के बाद शिवसैनिकों ने मुर्गियां लेकर प्रदर्शन किया
नारायण राणे के चुनाव हारने के बाद शिवसैनिकों ने मुर्गियां लेकर प्रदर्शन किया
मुंबई. बांद्रा-पूर्व सीट के उप-चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी और पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे को मात देने का जश्न शिवसैनिकों ने हाथ में ‘मुर्गी’ लेकर मनाया। इसके साथ ही ‘मुर्गी चोर चुनाव हारा...’ इस प्रकार के नारे भी लगाए। दरअसल पूर्व शिवसैनिक राणे का नाम ‘मुर्गी चोर’ पड़ने के पीछे कई तरह से किस्से बताए जाते हैं।
ये है 'मुर्गी चोर' का किस्सा
शिवसेना भवन से जुड़े एक पुराने शिवसैनिक ने बताया कि राणे को शिवसेना में लाने का काम पार्टी के वफादार व वरिष्ठ नेता लीलाधर डाके ने किया था। उन्होंने कहा कि राणे अपने दोस्त हनुमंत परब के साथ बचपन के दिनों में चेंबूर इलाके में गुंडागर्दी करते थे। बचपन की इसी नादान उम्र में उन्होंने दोस्तों के साथ मिलकर कई बार चेंबूर इलाके में मुर्गी चुराने का काम किया था। पकड़े जाने पर उन्हें डाके ने बचाया था। हालांकि राणे के खिलाफ अधिकृत रूप से पुलिस स्टेशन में मुर्गी चुराने का कोई भी मामला दर्ज नहीं है। परंतु इसी किस्से की वजह से उन्हें बाद में ‘मुर्गी चोर’ के नाम से चिढ़ाया जाने लगा। शिवसेना छोड़ने के बाद, तो बाल ठाकरे से लेकर रामदास कदम तक सभी शिवसेना नेता उनके नाम का उल्लेख न करते हुए ‘मुर्गी चोर’ कहकर ही संबोधित करते थे।
'मुर्गी चोर' कहे जाने का दूसरा किस्सा
राणे का नाम ‘मुर्गी चोर’ पड़ने के पीछे एक और कहानी भी है। शिवसेना कार्यालय शिवालय से जुड़े एक दूसरे वरिष्ठ नेता ने बताया कि राणे अपने लड़कपन में मुर्गी चुराने के साथ-साथ लड़ाई-झगड़े में आगे रहते थे। युवा होने पर चेंबूर इलाके में बकायदा उनकी गैंग सक्रिय थी। इस गैंग पर मारपीट से लेकर हत्या करने और हत्या के प्रयास जैसे कई गंभीर मामले दर्ज थे। चूंकि राणे महाराष्ट्र के कोंकण विभाग से संबंधित हैं और कोंकण में छोटे-बड़ी आपराधिक वारदातों को अंजाम देने वाले गुंडों को ‘मुर्गी चोर’ कहा जाता है। लिहाजा राणे का नाम भी ‘मुर्गी चोर’ पड़ गया।
कभी बाला साहब के खास थे राणे
कभी शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे के खास रहे राणे ने शिवसेना से बगावत करके कांग्रेस का दामन थाम लिया। शिवसेना छोड़ने के बाद से ही शिवसैनिक राणे को ‘मुर्गी चोर’ कहकर उनका उपहास उड़ाते हैं। अक्टूबर में हुए विधानसभा चुनाव में नारायण राणे को अपने गढ़ कोंकण में हार का सामना करना पड़ा था। अब देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में भी उन्हें शिकस्त झेलनी पड़ी है। लगातार दूसरी बार हराकर शिवसेना ने उनकी सियासत पर पूर्णविराम लगाने का प्रयास किया है।
पटाखे फोड़े शिवसैनिकों ने पिटाई किसी और की
उप-चुनाव में पराजित हुए नारायण राणे को भड़काने, चिढ़ाने और उकसाने का शिवसैनिकों ने बुधवार को कोई मौका नहीं छोड़ा। बांद्रा-पूर्व सीट के उप-चुनाव में शिवसेना की जीत सुनिश्तित होते ही कुछ अतिउत्साही शिवसैनिक राणे के जुहू स्थित बंगले के बाहर पहुंच गए और पटाखे फोड़कर जश्न मनाया। इसकी जानकारी मिलते ही बड़ी संख्या में राणे समर्थक भी वहां पहुंच गए। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार इसी दौरान एक युवक करीब के एटीएम सेंटर से बाहर निकला। राणे समर्थकों को लगा कि यह युवक भी पटाखा फोड़ने वालों के साथ था लिहाजा उन्होंने उसकी पिटाई कर दी। परंतु पुलिस ने हस्तक्षेप करके पिट रहे युवक को बचा लिया। उधर जब एक बेकसूर युवक को अनजाने में पिटने की बात राणे समर्थकों को समझ में आई, तो उन्होंने भी गलती कबूलते हुए अफसोस जताया और वहां से चले गए।

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