आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

08 मार्च 2015

J&K में मसरत की रिहाई: डिप्टी CM निर्मल बोले-शाह लेंगे गठबंधन पर फैसला


नई दिल्ली/श्रीनगर. अलगाववादी नेता मसरत आलम की रिहाई पर विवाद खड़ा हो गया है। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद द्वारा मसरत की रिहाई से बीजेपी नाराज है। रविवार को बीजेपी विधायकों की बैठक में कोई फैसला नहीं लिया गया। सूत्रों के मुताबिक बैठक में बीजेपी के विधायकों ने मसरत की रिहाई की आलोचना की। बीजेपी की जम्मू-कश्मीर ईकाई के अध्यक्ष जुगल किशोर शर्मा ने कहा कि उनकी पार्टी को सत्ता का लालच नहीं है। शर्मा ने कहा कि उनकी पार्टी मसरत की रिहाई से सहमत नहीं है। उनके मुताबिक इस मुद्दे पर एक और बैठक होगी। इसी बीच, जम्मू-कश्मीर से डिप्टी सीएम निर्मल सिंह ने कहा कि पीडीपी के साथ गठबंधन कायम रखने को लेकर अंतिम फैसला बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह करेंगे। इस बीच, विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ प्रवीण तोगड़िया ने प्रदेश के मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद से दो टूक कहा कि जम्मू कश्मीर को बर्बाद करने के बजाए राज्य के हालात सुधारने पर काम करें। बीजेपी नेताओं की मौजूदगी में तोगड़िया ने मुफ्ती को खूब लताड़ा और यहां तक कह दिया कि देश की जनता पाकिस्तान की भाषा बोलने वाले नेताओं को कान पकड़कर कुर्सी से उतारना जानती है। जम्मू-कश्मीर की अवाम को रोजगार, शिक्षा, व्यापार और पर्यटन की जरूरत है न कि आतंकवाद बढ़ाने की।
फाइल फोटोः अलगाववादी नेता मसरत आलम।
फाइल फोटोः अलगाववादी नेता मसरत आलम।
मसरत ने कहा, रिहा कर एहसान नहीं किया
मसरत ने जेल से रिहा होने के एक दिन बाद रविवार को कहा कि पीडीपी-बीजेपी सरकार ने उस पर कोई अहसान नहीं किया है, क्योंकि उसकी रिहाई सामान्य न्यायिक प्रक्रिया के तहत ही हुई है। आलम ने कहा, 'सरकार ने मुझ पर कोई अहसान नहीं किया है। मेरी रिहाई सामान्य न्यायिक प्रक्रिया के तहत हुई है।' मसरत ने कहा कि 'संबंधित अदालतों से जमानत दे दिए जाने के बाद भी' उन्हें बार-बार लोक सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत हिरासत में रखा गया। अपनी रिहाई से जुड़े विवाद पर मुस्लिम लीग के नेता ने कहा, 'अगर मेरी रिहाई पर कोई हो-हल्ला मचा रहा है, तो यह उसका सिरदर्द है।' रविवार को मसरत ने कहा, ''इस रिहाई के पीछे कोई डील नहीं है। यह छोटी जेल से बड़ी जेल में आने जैसा है। सरकार बदलने से हमें कोई मतलब नहीं है। मैंने जब से होश संभाला है ज्यातर वक्त जेल में बिताया है। अगर फिर गिरफ्तारी हो गई तो मुझे कोई अफसोस नहीं। फिलहाल मैं अपने परिवार के साथ वक्त बिता कर खुश हूं।''
बीजेपी पहले से ही कर रही विरोध
मसरत की रिहाई के बाद शनिवार को बीजेपी ने कह दिया था कि ऐसे फैसलों से गठबंधन पर असर पड़ेगा। जम्मू के विधायक रविंदर रैना ने कहा, ''यदि इस तरह से राज्य सरकार अलगाववादी नेताओं को रिहा करेगी तो घाटी का माहौल फिर से खराब हो जाएगा।'' राज्य में पीडीपी-बीजेपी के गठबंधन वाली सरकार ने पिछले दिनों ही शपथ लिया है। कांग्रेस ने भी मसरत की रिहाई पर सवाल उठाया है। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि बीजेपी घाटी में अलगाववादियों के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन करती रही है। पीएम मोदी को इस मामले पर आगे आकर सफाई देनी चाहिए।
कांग्रेस ने पूछा क्या भाजपा के राष्ट्रवाद का नया चेहरा हैं मसरत?
कांग्रेस प्रवक्ता ने जम्मू-कश्मीर में मसरत आलम की रिहाई मामले पर बीजेपी को घेरना शुरू कर दिया है। रविवार को कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा, ''कभी बीजेपी इसी अलगाववादी नेता के खिलाफ घाटी में विरोध-प्रदर्शन करती थी और आज उसकी गठबंधन वाली सरकार मसरत को जेल से रिहा कर रही है, क्या मसरत बीजेपी के राष्ट्रवाद के नया चेहरा है? ''
रिहाई का उमर अब्दुल्ला ने भी जताया विरोध
नेशनल कॉन्फ्रेस के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने अलगाववादी नेता मसरत आलम की रिहाई का कड़ा विरोध किया है। उन्होंने कहा कि आलम पर संगीन आरोप लगे थे। ये कहना सरासर झूठ है कि उस पर कोई मामला दर्ज ही नहीं हुआ था। उमर ने ट्वीट कर कहा, ''आलम पर संगीन आरोप लगे थे जिसमें देश के खिलाफ युद्ध छेड़ना और साजिश रचने जैसे धाराएं लगी थीं। आलम पर धराएं 120, 121, 120बी और 307 लगाई गई थीं।'' उन्होंने कहा कि वह उम्मीद करते हैं कि डीजीपी राजेंद्र आलम को बंदी बनाए जाने की सच्चाई पर रोशनी डालेंगे और जम्मू-कश्मीर पुलिस को कलंकित नहीं करेंगे। उमर ने कहा कि उनकी सरकार ने आलम को गिरफ्तार किया था और उसे बाहर की दुनिया से अलग-थलग रखा। बंदी बनाना किसी डील का हिस्सा नहीं था बल्कि यह कठिन हालात को काबू करने का तरीका था।
कौन है मसरत आलम
*44 साल का मसरत हुर्रियत के अलगाववादी धड़े का नेता है। 2008 से 2010 के बीच उसने भारत के खिलाफ मुहिम चलाने में अगुवाई की थी।
*सैयद अली शाह गिलानी का करीबी है। 2010 में भूमिगत होकर पथराव आंदोलन चला रहा था।

*अक्टूबर 2010 में उसे श्रीनगर के हरवान से गिरफ्तार किया गया था। उसे पकड़ने के लिए अभियान चलाया गया था।
* सरकार का दावा है कि मसरत को पहले राजनीतिक कैदी के रूप में पकड़ा गया। बाद में उस पर अन्य मामलों के साथ धारा 121 (देश के विरुद्ध युद्ध छेड़ना) लगा दी गई।
पत्थरबाजी में 120 मौतें हुई थीं
अलगाववादी नेता मसरत आलम को जम्मू-कश्मीर सरकार ने शनिवार को रिहा कर किया था। हुर्रियत के कट्टरपंथी नेता आलम की 2010 में कश्मीर घाटी में पत्थरबाजी की घटनाओं के बाद गिरफ्तारी की गई थी। 2010 में करीब चार महीने तक पत्थरबाजी की घटनाएं चली थीं और उसमें 120 की मौत हुई थी। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद ने कहा है कि जिन राजनीतिक कैदियों के खिलाफ गंभीर मामले नहीं हैं, उन्हें रिहा किया जाएगा।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...