आपका-अख्तर खान

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07 मार्च 2015

तुम्हारी बेचैनी

तुम्हारी बेचैनी
तुम्हारी बेकसी
तुम्हारी तड़पन
तुम्हारा यह रातों को जागना
तुम्हारी यह उदासी
मुझे सोने नहीं देती
खुदा करे
तुम्हारी हर दुआ
तुम्हारी हर ख्वाहिश पूरी हो
किसी के जीने की
किसी के खुश होने की
ख्वाहिश तो हो उसमे शामिल
लेकिन
मेरे मरने की ख्वाहिश भी
शामिल हो उसमे अगर
तो में कहता हूँ आमीन आमीन
खुदा तुम्हारी उदासी
तुम्हारी बेकसी दूर करे ,,
तुम्हारी हर ख्वाहिश पूरी हो
तुम्हारी हर दुआ क़ुबूल हो
तुम्हारे चेहरे पर ख़ुशी
तुम्हारे होंटों पर मुस्कुराहट हो
तुम फिर से चेहको
तुम फिर से महको
तुम फिर से इतराओ
तुम फिर से खिलखिलाओ
तुम फिर से इठलाओ
बस यही बस यही ख्वाहिश है मेरी
यही पहली यही आखरी तमन्ना है मेरी ,,,,,अख्तर

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