नई दिल्ली.
आम आदमी की पार्टी के संस्थापक सदस्य योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण को
पार्टी की पीएसी (राजनीतिक मामलों की समिति) से बाहर कर दिया गया है। यह
प्रस्ताव पार्टी की बैठक में बहुमत से पारित किया गया। पार्टी प्रवक्ता
कुमार विश्वास ने कहा की दोनों को नई जिम्मेदारी दी जाएगी।
2014 लोकसभा चुनाव में योगेंद्र यादव ने पार्टी के लिए बढ़-चढ़ कर
प्रचार किया था। देश के जाने-माने सेफोलॉजिस्ट और आम आदमी की पार्टी के
थिंक टैंक रहे योगेंद्र यादव का बचपन में नाम सलीम था। हिंदू होते हुए भी
उनके पिता देवेन्द्र सिंह की एक अलग सोच थी सामाजिक एकता के वह हिमायती थे।
उन्हें ये नाम उनके पिता ने धर्मनिरपेक्ष प्रतिक्रिया स्वरूप दिया
था।1936 के सांप्रदायिक दंगों में उनके दादा राम सिंह की हत्या हो गई थी।
योगेंद्र यादव के पिता अर्थशास्त्र के प्रोफेसर और दादा भी एक स्कूल
में टीचर थे। योगेंद्र की पत्नी मधूलिका बैनर्जी दिल्ली यूनिवर्सिटी में
एसोसिएट प्रोफेसर हैं। पांच साल की उम्र में जब कुछ हिंदू लड़कों ने उन्हें
परेशान करना शुरू किया तो उनका नाम सलीम से बदलकर योगेंद्र कर दिया गया।
आम आदमी पार्टी से जुड़ने से पहले यादव पंजाब विश्वविद्यालय में
पॉलिटिकल साइंस के प्रोफेसर रह चुके हैं। एक चुनाव विश्लेषक के तौर पर वे
दूरदर्शन सहित कई चैनलों पर चर्चा किया करते थे। साथ ही वे सीएसडीएस
लोकनीति रिसर्च प्रोग्राम के संस्थापक भी हैं। योगेंद्र 2009 आम चुनाव में
कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी
को सलाह दिया करते थे। यादव 2010 में राइट टू एजूकेशन लागू करने के
राष्ट्रीय सलाहकार परिषद में भी रहे। इसके बाद वे अन्ना के आंदोलन से
जुड़े।
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