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16 मार्च 2015

,,एडवोकेट ,,पूर्व विधायक डॉक्टर दयाकृष्ण विजय साहित्य सृजन में एक ऐसा ख्यातनाम

कोटा के ही नहीं ,राजस्थान के ही नहीं ,,पुरे भारत के एक विख्यात साहित्यकार ,,एडवोकेट ,,पूर्व विधायक डॉक्टर दयाकृष्ण विजय साहित्य सृजन में एक ऐसा ख्यातनाम है जिनकी लेखनी ,,जिनके साहित्य और जीवनी पर आधा दर्जन से भी अधिक लोगों ने रिसर्च कर डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की है ,,,जी हाँ दोस्तों हमारे अपनों के बीच सहज ,,सरल ,,मुस्कुराते हुए साथ रहने वाले ,,,आठ अप्रेल उन्नीस सो उन्तीस में बारा ज़िले की अटरू तहसील ग्राम छजावा में जन्मे डॉक्टर दया कृष्ण विजयवर्गीय कॉलेज शिक्षा समय से ही साहित्यिक विधा में पारंगत थे ,,इनकी नेतृत्व क्षमता थे और सेवाभावी होने से भारतीय जनसंघ के साथ साथ राष्ट्रीय स्वम सेवक संघ से जुड़े थे ,,,डॉक्टर दयाकृष्ण विजय ने कोटा से एल एल बी की ,14 वर्ष की उम्र में ही आपकी तीखी लेखनी लोगों को लुभाने लगी ,,आपने भारत के स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में भी बालपन में सक्रिय हिस्सा लेकर सभी आंदोलनकारियों को चौंका दिया ,,,आपने हिंदी साहित्य में एम ऐ करने के बाद पी एच डी की डिग्री प्राप्त कर खुद को डॉक्टर बना लिया ,,,डॉक्टर दया कृष्ण विजयवर्गीय 1957 में एडवोकेट अहमद बख्श को छबड़ा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव हरा कर विधायक निर्वाचित हुए ,,,,आप आंदोलनकारी भूमिका होने से आपात काल के दौरान उन्नीस महीने जेल में रहे ,,, डॉक्टर दया कृष्ण विजयवर्गीय साहित्य में विजय के नाम से जाने जाते है ,,,इन्हे इनके विजयवर्गीय समाज का राष्ट्रीय अध्यक्ष निर्वाचित किया गया ,,,,छात्र जीवन से ही स्काउट से जुड़े होने से लोगों में मोहब्बत प्यार बाँट कर उनकी सेवा करना इनका स्वभाव रहा ,,वकालत में आप रेवेन्यू ,,सिविल के पारंगत वकील के रूप में पहचान बना चुके थे ,,लेकिन साहित्य के शोक ने इन्हे देश का ख्यातनाम साहित्यकार बना दिया ,,,आप कोटा की ख्यातनाम साहित्यिक संस्था भारतेंदु समिति के अध्यक्ष निर्वाचित हुए ,,अनेक साहित्यिक गतिविधियों के बाद आपको राजस्थान साहित्य अकादमी का अध्यक्ष दो बार निर्वाचित किया गया ,,इनके कार्यकाल में राजस्थान के साहित्यकारों को काफी सुविधाये दिलवाई गई ,,साहित्यकारों के लिए पेंशन ,,इलाज की सुविधा व्यवस्था लागू की गई ,,डॉक्टर विजय ने पत्रिका मधुमती और चिदंबरा का सम्पादन प्रमुखता से किया ,,आप अखिल भारतीय साहित्य परिषद के राष्ट्रिय अध्यक्ष रहे ,,,इनकी साहित्य प्रतिभा को देखकर सातवे विश्व हिंदी सम्मेलन सूरीनाम में वर्ष दो हज़ार तीन में आपको विश्व हिंदी सम्मान से सम्मानित किया गया ,,आपको विद्या वाचस्पति उपाधि मिली जबकि साहित्य भूषण सम्मान ,,विशिष्ठ साहित्य पुरस्कार सहित साहित्य का सर्वोच्च सम्मान मीरा पुरस्कार से आप सम्मानित हो चुके है ,,,,,,,,डॉक्टर दयाकृष्ण विजय वर्गीय के वयक्तित्व ,,इनकी जीवनी ,,इनकी साहित्यिक विधा पर आधा दर्जन से भी अधिक शोधकर्ता पी एच डी कर चुके है जबकि एक दर्जन से भी अधिक छात्र छात्राओ ने इनकी साहित्यिक विधा पर एम फिल की डिग्री प्राप्त की है , काव्य ,,,मुक्त छंद काव्य ,,,हाइकु संग्रह,, ग़ज़ल संग्रह ,,दोहा सतसई ,,गीत संग्रह ,,कविता संग्रह ,,मुक्तक संग्रह ,,उपन्यास ,,,, ,,एकाकी का लेखन किया ,,डॉक्टर मिर्ज़ा हैदर बेग ,,डॉक्टर नरेंद्र सिंह तोमर ,,डॉक्टर यदुवीर सिंह खिरवार ,,,डॉक्टर सुनीता चौधरी ,,,डॉक्टर शशी प्रभा शर्मा ,,,डॉक्टर किरण विजय ने ने डॉक्टर दयाकृष्ण विजय के कृतित्व ,,व्यक्तित्व और साहित्य पर डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त कर इन्हे अलंककृत किया जबकि ,,अनीता राठी ,,,हिमानी भाटिया सहित एक दर्जन साहित्यकारों ने इनके व्यक्तित्व पर एम फिल की है ,,डॉक्टर दयाकृष्ण विजय ने हिंदी के काव्य लेखन से ,,कविता ,,ग़ज़ल ,,,एकाकी ,, उपन्यास ,,गीत ग़ज़ल ,,, सभी तरह का लेखन लिखा है ,,,कोटा की एक अज़ीम हसती डॉक्टर दया कृष्ण विजयवर्गीय साहित्य क्षेत्र में वरिष्ठं हस्ताक्षर है ,,,,जिन्होंने कोटा को ,,हाड़ोती को ,,राजस्थान को पुरे देश में गौरवान्वित किया है ,,,,,,,,,,आप के पुत्र हेमंत विजयवर्गीय भी वरिष्ठ अधिवक्ता है और भाजपा के कोटा जिला अध्यक्ष के रूप में सफलतम कार्य कर रहे है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,डॉक्टर विजय को बधाई ,,मुबारकबाद ,,सेल्यूट ,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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