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03 मार्च 2015

मणिशंकर अय्यर बोले-अफजल गुरु की फांसी से दुखी था, नहीं थे उसके खिलाफ सबूत




मणिशंकर अय्यर बोले-अफजल गुरु की फांसी से दुखी था, नहीं थे उसके खिलाफ सबूत
 
नई दिल्ली. संसद पर 2001 में हुए आतंकवादी हमले से जुड़े मामले में मौत की सजा पा चुके अफजल गुरु को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। पीडीपी के विधायकों की अफजल के शव के अवशेष लौटाने की मांग के बाद मंगलवार को कांग्रेस के नेता मणिशंकर अय्यर ने कहा है कि अफजल की फांसी से वे दुखी थे। अय्यर का दावा है कि अफजल के खिलाफ सबूत नहीं थे।
केंद्र ने पीडीपी की मांग ठुकराई
जम्मू -कश्मीर में बनी पीडीपी की सरकार के 9 विधायकों द्वारा संसद हमले के दोषी अफजल गुरु के शरीर के अवशेष उसके परिवार वालों को लौटाने की मांग को केंद्र सरकार ने ठुकरा दिया है। गृह मंत्रालय की ओर से जारी बयान के मुताबिक, यह मांग राजनीतिक कारणों से है और परिवार वालों के बजाए राजनीतिक पार्टी की ओर से की गई है, इसलिए इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता। इसके अलावा, अफजल के शरीर के अवशेष को इसलिए भी नहीं लौटाया जा सकता, क्योंकि इसे तिहाड़ जेल के अंदर ही काफी पहले दफनाया जा चुका है। वहीं, पूरे मामले पर गीतकार जावेद अख्तर ने भी कहा कि अफजल गुरु के शरीर के अवशेष लौटाने की मांग पीडीपी कैसे कर सकती है, यह तो उसके परिवार का हक है।
पीडीपी विधायकों ने कहा था, गलत तरीके से दी गई फांसी
अफजल के अवशेष की मांग करते हुए पीडीपी विधायकों ने कहा था कि उसे फांसी देने में संवैधानिक प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया गया। मांग करने वाले विधायकों में मोहम्मद खलील बंद, जहूर अहमद मीर, राजा मंजूर अहमद, मुहम्मद अब्बास वानी, यावर दिलावर मीर, मोहम्मद यूसुफ, एजाज अहमद मीर और नूर मोहम्मद शेख हैं। अफजल गुरु को 2001 में संसद पर हुए आतंकी हमले के मामले में 9 फरवरी, 2013 को फांसी दी गई थी। हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब पीडीपी ने अफजल गुरु का शव मांगा हो।

1 टिप्पणी:

  1. अय्यर यह कह कर अपने ही दल का सरकार के कार्य पर सवाल उठा रहे हैं ,दूसरे इस फैसले के सबूतों पर प्रश्न कर वह न्यायपालिका के निर्णय में भी शंकायें ढूंढ रहे हैं , ऐसा लगता है कि वे पार्टी में उचित तवजहय न मिलने के कारण अय्यर बौखला गए हैं व कुछ अनदेखा महसूस कर रहे हैं ऐसे बयान प्रायः ख़बरों में बने रहने , ध्यान आकर्षित करने के लिए दिए जाते हैं , लेकिन उनका दुष्परिणाम बहुत दूरगामी होता है विभाजन की नीति पर काम करने वाली कांग्रेस के नेताओं से और अपेक्षा भी क्या की जा सकती है

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